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पुष्करणे ब्राह्मण राज्य बोहरे । जोधपुर के महाराजा राजगयसिंह जीके पुत्र उदयसिंहजी अपने पिताकी आज्ञा से फलौधी में रहते थे। उस समय मलार नामक गांव में रहनेवाले कपटा जाति के पुष्करणे ब्राह्मण शेऊ. जीने उन्हें कई लाख रुपये दिये थे । फिर जब उदयसिंहजी जोधपुर के राजा हुये तो शेऊनीको बोहरा की पदवी देकर जोधपुर बुलाये । परन्तु उन्होंने स्वयं तो अपना घर छोड़ कर आना स्वी कार नहीं किया किन्तु महाराज के बहुत आग्रह करनेसे अपने भानजे व्यास भोजाजी, गांगाजी तापोजी व चोहटिया जोशी गोपालदासजी को जोधपुर भेज दिये। महाराजाने इनमें व्यास भोजाजी को तो अपने गुरु और अन्यों को अपने मुसाहिब बनाये । कपटा शेऊनीकी सन्तान तब से बोहरा कहलाती है। (देखो रिपोर्ट, मर्दुम शुमारी, राज्य मारवाड़, के भाग तीसरे का पृष्ठ १८५)
ऐसे ही जोधपुर के महाराजा मानसिंहजी को चण्डवाणी जोशी श्री कृष्णजीने भी कई लाख रुपये उधार दिये थे।
इसी प्रकार जैसलमेर तथा बीकानेर के महाराजाओंको भी आवश्यकता पड़नेपर पुष्करणे ब्राह्मणोंने रुपयोंकी सहायता के अतिरिक्त इस देश के छोटे बड़े जागीरदारों दी है।
पुष्करणे ब्राह्मण राज्य हितेच्छु । जोधपुर के महाराजा विजयसिंहजी को मरहट्टों के खिराज के कई लाख रुपये देने थे सो जमा कराने के लिये
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