________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
११९
इसके उपरान्त जव सगाई करनेका विचार दृढ़ हो जाता है तब 'वाग्दान' (जिसे सम्प्रदान भी कहते हैं) अर्थात् कन्या देने का संकल्प कर देते हैं। तभी सगाई पक्की हुई समझ के फिर उसी समय लड़की वाले लड़के वालोंको मिलनी देते हैं । यह इसी सुनियमका प्रताप है कि पुष्करणे ब्राह्मणों में सगाई तथा विवाह सम्बन्धी किसी प्रकारका वाद विवाद राज्य तक कदापि नहीं जाता है।
पुष्करणे ब्राह्मणोंमें विवाहको शास्त्र मर्यादा।
शास्त्र मर्यादा जैसे सगाई करने की है वैसे ही विवाहकी भी है । अतः पुष्करणे ब्राह्मणों में विवाह भी शास्त्र मर्यादानुसार ही होता है। विवाह सम्बन्ध में आधुनिक रूढिके अनुसार न तो प्रसेक लड़के लड़की की जन्म पत्रिका आदि मिलाते हैं और न :सेक लड़के लड़कीके लिये विवाहका मुहूर्त ही पृथक् २ निकालते हैं किन्तु पारस्कर आदि गृह्य सूत्रों की आज्ञानुसार विवाह करने योग्य श्रेष्ट कालमें अपने२ ग्राममें समयरपर केवल एक ही उत्तम मुहूर्त निकाल लेते हैं। उस समय वहां की जाति भरमें जितने विवाह होनेवाले हों वेसभी उस एकही मुहूर्तमें हो जाते हैं। हां विवाहके कार्यके पारम्भसेलेके विवाहका कार्य समाप्त होने तकके विवाह के अंगभूत प्रयेक कार्य के लिये शास्त्रकी आज्ञानुसार पृथक् २ मुहूर्त अवश्य नियत करते हैं। अर्थात् वैसे तो विना मुहूर्त के तो कोई कार्य नहीं करते, इसलिये पुष्करणों में विवाह हो जानेके पीछे भी विवाहका कार्य समाप्त होने में १५।२० दिन लग जाते हैं । सगाई करनेका विचार स्थिर कर लेनेसे लगाके विवाह सम्बन्धी समग्र
For Private And Personal Use Only