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कार्य सम्पूर्ण होने तक का विवरण रिपोर्ट मर्दुम शुमारी राज्य मारवाड़के तीसरे भागके पृष्ठ १६२ से लगा के १८० तक (१९ पृष्ठों) में विस्तार से लिखा गया है। इन सब कार्यों के शास्त्र मर्यादानुसार होनेके प्रमाण विस्तार पूर्वक 'पुष्करणोत्पत्ति' नामक पस्तक में दिखलावेंगे।
पुष्करणे ब्राह्मणों में सम्बन्धियों के
परस्पर प्रेम। विवाह आदि के समय सम्वन्धियों में परस्पर प्रेम जैसा पुष्करणे ब्राह्मणों में सदासें रहता आया है वैसा स्यात् ही किसी और जातिमें रहता होगा । इस शिष्टाचारके लिये पुष्करणों की जाति प्रसिद्ध है। रिपोर्ट मर्दुम शुमारी राज्य मारवाड़ने भी अपने तीसरे भागके पृष्ट १६२ में इनकी प्रशंसा की है वहीं पाठकों को सुनाने के लिये यहां पर लिख देता हूं:: "पुष्करणे ब्राह्मणो में व्याह शादीके दस्तुर बहुत सीधे सादे हैं और उन के आपसके वर्ताव भी बहुत अच्छे हैं जिस से बहुत कुछ फायदा न्यात संबंधी होता है, और इसी संबंधसे इनके व्याहों में कभी कोई झगड़ा वखेडा दूसरी कौमों के माफिक नहीं होता, बल्कि दुतरफा बहुत रंग और प्यार रहता है। बेटीका बाप चाहे कुछ न दे तो भी वेटेका बाप और भाई वगैरा उसकी तारीफ ही करते हैं कि आपका क्या कहना है आप तो इन्द्र होकर हमारे ऊपर बरसे हैं।
. "दूसरी उमदा बात यह है कि व्याह में चाहे ज़ियादा रुपया खरच करें और चाहे कम, मगर बहुत कम हिस्सा उसका
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