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इस प्रकार प्रबन्ध करने पर जाति में पुन: ऐक्यताकी वृद्धि द्वारा परस्पर एक मरे के साथ महानुभूतिका पचार होगा जिससे जातिकी उन्नति होने में हा एक प्रकारकी सहायता मिलेगी। परन्तु साथमें यह भी ध्यान रहे कि केवल नाम मात्रकी सभाएं स्थापित करनेहीसे तो उन्नति नहीं हो जायगी किन्तु उन्नति तो उस सभा द्वारा उद्योग करने होंसे होगी। आशा हैकि आप मेरे इस निवेदन पर अवश्य ध्यान दे के धन्यवाद के पात्र बनेंगे क्योंकिस जातो येन जातेन याति वंशः समुन्नतिम् । परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते ॥
वैसे तो यहमसारही परिवर्तन शील होने मे इस में जन्म लेने वाले सभी एक न एक दिन अवश्य ही मृत्यु के मुख में चले जा. वेंगे, परन्तु इम में जन्म लेना सार्थक उन्हीं महानुभावोंका है कि जिनके जन्म लेने से स्वजाति की उन्नति हो सके जिससे उनका नाम तो मृत्यु के मुख में न जावे अर्थात् उस कीर्तिके साथ उनका नाम अमर हो जावे।
आजकल अंग्रेज सरकार के शान्तिमय राज्य में जबकि स. मस्त जातियें अपनी उन्नति करने में जीजानसे प्रवृत्त हो रही हैं, ऐसे उत्तम समय में सदासे उन्नति करनेवालो पुष्करणे ब्रा. ह्मणों की जाति गाद निद्रा में सोती रहे यह क्या कम लज्जाकी वात है ? अतः समस्त पुष्करणे ब्राह्मणों को चाहिये कि विना विलम्ब के स्वजाति की उन्नति के कार्य साधन में शीघ्र प्रवृत्त हो जाये ताकि इस जातिके उन्नत शोल पूर्वनों की महान् कीत्ति का गौरव सदाकाल बना रहे ।
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