________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१६०
ग्रन्थ कर्त्ता के वंश का संक्षिप्त परिचय |
आज से ९७० वर्ष पहिले लुद्रवा नगर में 'लक्षमोज' नामक महाविष्णु यज्ञ करनेवाले टङ्कशाली - व्यास 'लल्लूजी' से २४ वीं पीढ़ी में सं० १४५० के लगभग ब्यास 'देवरुपिजी' बड़े प्रतापी हुये थे इनके पोपोजी, जूठोजी, नऊँजी, और गदाधरजी नामक ४ पुत्र हुये ।
(१) नऊँजी - इनके घेरूजी, सेऊजी, कृष्णोजी, डावोजी, घड़शीजी, ब्रह्मोजी और बालब्रह्मचारीजी नामक ७ पुत्र हुये जिनकी सन्तान वाले 'नऊँपोते व्यास' अथवा 'जैसलमेरिये व्यास' कहलाते हैं । (२) घेरूजी - इनके विद्याधरजी, जस्सोजी, हरखोजी और गोविन्दजी नामक ४ पुत्र हुये ।
(३) विद्याधरजी - इनके लक्ष्मीदासजी, विनयदासजी ( भवानीदासजी), अनन्तदासजी और द्वारिकादासजी नामक ४ पुत्र हुये । (४) विनयदासजी ( भवानीदासजी ) इनके हरजीजी नामक १ पुत्र हुआ ।
(५) हरजीजी - इनके श्रीधरजी नामक १ पुत्र हुआ ।
(६) श्रीधरजी - ये बडे प्रतापि हुये इससे इनके वंशवाले 'श्रीधराणी व्यास' कहलाये | इनके कमलापतजी, विजयराजजी, भगवानदासजी, जयरामजी और नाम ज्ञात नही ? नामक ५ पुत्र हुये । (७) भगवान्दासजी - इनके शोभाचन्दजी, अक्षयराजजी, जोधराजजी, और सदारंगजी नामक ४ पुत्र हुये ।
(4) अक्षयराजजी -इनके ज्येष्ठमलजी, सीतारामजी, रामजीदासजी, आशकरणजी, ओचुरामजी ( सत्तरामजी) और खुशालचन्दजी नामक ६ पुत्र हुये ।
(९) आशकरणजी - इनके कुंजलालजी, बृजलालजी, हीरान न्दजी और घेरूलालजी नामक ४ पुत्र हुये ।
(१०) घेरूलालजी - इनके खेतसीदासजी नामक १ पुत्र हुआ । (११) खेतसीदासजी - हमारे पितामहदादाजी ) का जम्म जैसलमेर में सं० १८३८ में हुआथा । इनके पूर्वज तो जैसलमेर के राज्यमें राज्याधिकारके कार्य करते थे किन्तु
3
For Private And Personal Use Only