Book Title: Pushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Author(s): Mithalal Vyas
Publisher: Mithalal Vyas

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Page 185
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६६ गुन वदि ९ को हुआ है । प्रथम स्त्री से संतान हुये बे जीवित नहीं रहे । दूसरी स्त्री से एक कन्या जीवित है । [2] 'सूरज कुँवरी' – इसका जन्म सं० १९६२ के वैशाख वदि १२ को पाली में हुआ है । - (४) 'सोनीबाई' - इसका स्वर्गवास जोधपुर में सं० १९६५ के मात्र A वदि ३० को हुआ । यह जैसलमेर के नानगाणी विशा देवकरणजी के पुत्र व पोकरणके पुरोहित महासिंहजी के दोहिते 'सुरतान चंदजी' को व्याही थी इसके सुसराल वालों की उमटवाड़ी प्राप्त के नरसिंहमढ़ आदि में साहूकारी धंधे की दूकानें थीं । सुरतानचन्दजी का स्वर्गशरू सं १९३७ के श्रावण सुदि १५ को नरसिंहगढ़ में हो गया था । इसके एक पुत्र है । [2] 'ओंकारलाल' - इसका जन्म, नरसिंहगढ़ में मं० १९३५ के मृगशिर यदि १० को हुआ है । (५) ' पूनमचन्द ' - इसका जन्म जोधपुर में सं० १९२० के पोप सुदि १५ को हुआ है । इसके नामसे कराची में दुकान थी । और इस समय बम्बई (शोलापूर) के सुप्रसिद्ध शेठ वालचंदजी उग्रचंदजी की ब्यावर [ राजपूताना ] की दूकान पर मुनीम है । इसने ज्योतिष और अधिक तर आयुर्वेद विद्यापर बहुत श्रम करके उस में सफलता प्राप्त की जिससे अनेक असाध्य रोगियों को आरोग्य किये । इस योग्यता से प्रसन्न होके आयुर्वेद विद्या पीठ नासिक के द्वितीय सम्मेलनन इसको 'आयुर्वेद पंञ्चानन' की उपाधि प्रदान किई है । इसका विवाह जैसलमेर के महाराजा गजसिंहजी के दीवानमुसाहिब आचार्य ईश्वरलालजी के बड़े भाई मयाचन्दजी के पुत्र गणेशदासजी की कन्या व रावतमलजी की बहन तथा चोहटिये जोशी कस्तूरचन्दजी की दोहिती 'जानकी' से सं० १९३१ के फाल्गुन वैदि २ को हुआ है । इसके ४ संतान हैं । For Private And Personal Use Only

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