Book Title: Pushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Author(s): Mithalal Vyas
Publisher: Mithalal Vyas

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Page 182
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५ 'महीधरदासजी'-इनका जन्म सं० १८८५ में और स्वर्गवास सं० १९३२ के वैशाख यदि ११ को पाली में हुआ। इन्होंने मुलतान घ बहावलपुर आदि में दुकानें किई थीं। ये बड़े बुद्धिमान् होनेसे सच्चे सलाहगीर गिने जाते थे, अतः पाली नगरमें बहुधा लोग इनके पास सलाह लेनेको आया करते थे। इसी प्रकार ये निष्पक्ष होने से परस्पर के कई झगड़े भी इन्हीं को पञ्च पनाकर निपटारा करवा लेते थे। इनके २ विवाह हुये थे। प्रथम तो जैसलमेर के पूर्वोक्त केवलिया माधवदासजी के पुत्र शाहवरायजीकी कन्या व विठ्ठलदासजीकी बहन 'छोटी से हुआथा। उनका सं०१९१०के माधवदि१रको पाली में स्वर्गवास हा जानेसे दूसरा विवाह जोधपुर के चण्डवाणी जोशी निर्भयरामजी की कन्या व नाथावत व्यास केहरिचन्दजी की दोहिती "विजी से सं. १९१२ के माह सुदि ५ को हुआथा इनका सं० १९२७ के मृगशिर सुदि १३ को सोजतमें स्वर्गवास हुआ । इनके प्रथम स्त्री से २ और दूसरी से ३ सन्तान हुये। (१) 'हंसराजनी'-इनका जन्म सं० १९.०६ में और स्वर्गवास सं. १९५३ के मृगशिर धदि ६ को पाली में हुआ। ये महाजनी धंधे में धन कमाने में जैसे परिश्रमी थे, वैसे ही खाने खर्च. नेमें भी कमी नहीं रखते थे। इन्होंने बम्बई में दूकान कि थी। इनका भी विवाह जोधपुर के पूर्वक्ति विशाचैनजी के पुत्र घृद्धिचंदजी की कन्या व चत्ताणी व्यास धुनजीकी दोहिती 'कस्तूरी' से सं. १९१७ के वैशाख मुदि १०को हुआ था इनके ३ पुत्र हैं। [१] 'मुरलीधर'-इसका जन्म सं० १९३२ के मृगशिर वदि ८ को पाली में हुआ है। इसने अपना विवाह करने की नाहीं करदी जिससे कुआराही रहा है। यह गान विद्यापर अधिक प्रेम रखता है । और फोटोग्राफी का काम अच्छा करता है। [२] 'रघनाथ'-इसका जन्म पाली में सं. १९४० के ज्येष्ठ यदि ३ को हुआ है । इसने अंग्रेजी विद्याके अतिरिक्त For Private And Personal Use Only

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