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पुष्करणे ब्राह्मणों का निवास स्थान ।
इनके पूर्वज बहुत प्राचीनकाल से सिन्ध देशमें निवास करते थे । ऊपरी सिन्ध देश की 'आलोर' वा 'आरोर' नामकी पुरी प्राचीन राजधानी वहां के राजाओं का मुख्य स्थान, शिकारपुर जिले में ' शेहरी ' वा ' रोहड़ी' नामक स्थानसे ३ कोश पूर्व, सिन्धु नदीके पुराने मार्गके किनारे, मुलतान से भी चढ़ी बढ़ी थी । वह उत्तर में काश्मीर, पश्चिम में सिन्धु नदी, दक्षिणमें समुद्र, और पूर्व में मरुस्थल - इनके मध्य में थी । पुष्करणे ब्राह्मण वहां के राज्यकर्त्ताओं के वंश परम्परा के पुरोहित ( कुलाचार्य) होनेसे उस 'आलोर वा आरोर पुरी' में भी अधिकता से बसते थे । * विक्रम संवत् के प्रारम्भ से २७० वर्ष पहिले यूनान देश के बादशाह 'सिकन्दर' ने इस देशपर चढ़ाई किई तो प्रथम पञ्जाबके राजाओं पर जय प्राप्त करके फिर सिन्धकी ओर बढ़ा। उस समय आलोर
* 'आलोर' वा 'आरोर' में पहिले यदुवंशियों का और पीछे पँवारों का राज्य रहा । वे दोनों ही पुष्करणे ही ब्राह्मणों को अपने पुरोहित मानते थे । वहां के 'साहिर' नामक पँवार राजापर फारस देशकी सेना चढ़ आई तो उसके साथ युद्ध करके वह राजा मारा गया और उसका 'रायशा' नामक पुत्र गद्दी बैठा | इससे कई पीढ़ी पीछे 'दाहिर' नामक अन्तिम - बार राजा संवत् ७७४ में ईरानके हाकिम हिजाज की भेजी हुई सेना के नायक मुहम्मद कासिमके साथ युद्ध करके स्वर्ग सिधारा तब उसकी रानी व पुत्र वधू अपने देश, जाति, व धर्म के मानार्थ प्रज्वलित चिता में प्रवेश कर गई ।
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