Book Title: Pushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Author(s): Mithalal Vyas
Publisher: Mithalal Vyas

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Page 141
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२२ द्वारके पास बाहर ही सोती रही। सवेरा होते ही यहतो शीघ्र उठकर अपनेपाहरको चलींगई। औरउधर लड़का उठकर तापी नानकबाबड़ीमें स्नान करने गया। वहांव देव योगसे उसमें डूब गया। इसको निकालने के लिये दूसरा मनुष्य जल में घुसा तो वह भी डूब गया । ऐसे एकके पीछे एक करके ७ मनुष्य डूब गये । इस बात को दैवकोप समझकर पीछे तो लोगोंने और किसीको भी जल में नहीं घुसने दिया। किन्तु अन्त में वे७ मनुष्य तोमर हो गये। उस कन्या के पति के जल में डूब मरनेका समाचार कन्या के पीहरवालों को पहुँचने से पहिले ही उस कन्या के हृदयमें इस वातकी स्फुरणा हो गई थी। फिर वह कन्या स्नान कर पवित्र वस्त्र तथा आभूषण पहिन के 'सती' होने को ससुराल में आ खड़ी हुई और उस बाळक पति के साथ सती हो गई । उसकी छत्री जोधपुर में सिवानची दर्वाज़ेके भीतर है; और प्रति वर्ष उस तिथिको उनके दोनों वंशवाले वहां पर जाके उत्सव करते हैं । इस प्रकार लुद्रबा, आशनीकोट, जैसलमेर आदि से लेके जहां २ पुष्करणे ब्राह्मणों का निवास स्थान रहा है वहां २ पुकरणे ब्राह्मणों की सतियोंपर की कई छत्रिये अद्यावधि विद्यमान हैं; और उनके वंशत्राले उनकी मानता करते हैं। इतना ही नहीं किन्तु उन सतियोंने जोर कार्य करने की मनाई की थी उनका 'यों को भी आजतक वे नहीं करते हैं। यहां तक कि यदि वे कार्य भूल से भी हो जाँय तोभी उनका कु फल तुरन्त जतला देता है । ऐसे कई सतियों का चमत्कार आजतक देखने में आता है। अकवन्तः जबसे सती होने की प्रथा इस देश में राजाज्ञासे बन्द करदी गई है तबसे पोछे तो पुष्करणों में भी सती होने नहीं पाती है । For Private And Personal Use Only

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