Book Title: Pushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Author(s): Mithalal Vyas
Publisher: Mithalal Vyas

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Page 148
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकार के अनेक शुभ गुणों से तो विभूषित और ईर्षा, द्वेष, अ. पिमान, मिथ्या पक्षात आदि अवगुणों से वे रहित थे। विक्रम संवत् के प्रारम्भसे २७० वर्ष हिले यूनान देशके वादशाह सिकन्दरने इस सिन्ध देश पर भी चढ़ाई करके वहांका राज्य नष्ट कर दिया था। उस समय के वहाँ के निवासियों के पूर्वोक्त गुणों की सच्ची महिमा मिकन्दर के साथी यूनानी इतिहास लेखकोंने भी बड़े आनन्द और आश्चर्यजनक शब्दों में की है, जिसे आज २२३६ वर्ष व्यतीत हो । गये हैं यद्यपि इतने अधिक समय में बहुतसा परिवर्तन भी हो गया है, तथापि यूनानी इतिहास लेखकों के कथन की सत्यता के कई प्रमाण इस जातिमें अब तक पाये जाते हैं। उन्हीं गुणोंकी विद्यमानताक लिये इस जातिकी महिमा 'रिपोर्ट मर्दुम शुमारी राज्य मारवाड़ के पागतो. सरे के पृष्ठ १६२ में भी विस्तार से की है (देखो इस पुस्तक का पृष्ठ १२० वां)। जाति मर्यादाकी प्राचीन सुरीतियों के पाल नकी आवश्यकता । यात्रा करनेवाले लोग अपने मुविधे के लिये बहुतमे लोगों का संघ (मयूह) बनाके यात्रा करते हैं। उस संघके प्रशन (आगीवान) यदि धनाढ्य लोग हों तो उस संघकी विशेष शोभा दीखती है। उस संघके नियम भी ऐसे सीधे सादे बनाये गये हैं कि जिससे अशक्त लोगोंका भी सुख पूर्वक निर्वाह हो जाता है । संघके प्रधानों में अकेले ही आगे बढ़ जानेकी सामर्थ्य होने पर भी वे अपने संघके अन्य सर्व साधारण लोगों को पीछे For Private And Personal Use Only

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