________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
लड़के लड़की की समाई पक्की नहीं भी करते हैं। इस बात को देख कर ही लोग कहते हैं कि पुष्करणों में * सगाई छूट जाती है । किन्तु ऐसा कहने का मूल कारण केवल देश रूढ़ेि पड़ जाना .ही है । वास्तव में पुष्करणों में सगाई शास्त्र मर्यादानुसार 'वाग्दान' हो जाने पर ही पक्की समझी जाती है। इस प्रकार सगाई हो जाने पर पुष्करणों में न तो कभी पहिले ही छूटी है और न कभी आगे ही छूटने की सम्भावना होती है।।
पुष्करणे ब्राह्मणों में शास्त्र मर्यादानुसार वाग्दान-सगाईकरने की यह रीति है कि विवाह से १ वा २ दिन पहिले कन्या के कुटुम्ब वाले स्त्री पुरुष एकत्र हो के लड़के वाले के यहां जाते हैं । लड़के वाले भी सब एकत्र हो के लड़के को गहने कपड़े पहिना के घर के बाहर एक गद्दी पर विठला देते हैं। फिर वहां पर लड़के और लड़की के कुल के तथा इन दोनों के ननिहाल ( नानाणे) वालों के कुल के गोत्र, प्रवर, वेद, शाखा धादि का उच्चारण कराते हैं जिस से यह निश्चय जावे कि सगाई कर ले में कोई गोत्र तो नहीं अटकता। इस के पीछे इन चारों ही कुटुम्वों के अर्थात् लड़के और लड़की के बाप, दादा, परदादा, और नाना, पर नाना, लड़ नाना के नाम तथा दोनों की माताओं के नाम पूछे जाते हैं। जिससे कि यह निश्चय करना है कि तीन पीढ़ी तक में किसी प्रकार की अकुलीनता तो नहीं है . * निस प्रकार शास्त्र मर्यादानुसार वाग्दान होनेसे पहिले पुष्करणों में सगाई पकी नहीं समझी माती उसी प्रकार श्रीमाली ब्राह्मणों में भी सगाई पको नहीं समझी जाती है।
For Private And Personal Use Only