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पुष्करणे ब्राह्मणों की जीविका । इस जातिवाले अपनी जीविका बहुत प्राचीन काल से रा. ज्य पुरोहित, राज्य विद्यागुरु, राज्य कथा व्यास, राज्य पुस्तकाध्यक्ष, राज्य दानाध्यक्ष, राज्य जोशी वेदिया, राज्य ज्योतिषी,
और राज्य वैद्य आदि ब्राह्मणोंके करने योग्य कर्मों द्वारा ही करते हैं । परन्तु राजाओं के यहां पूर्वोक्त कर्म करते२ फिर काल पाके ये राज्य रक्षक, राज्य भक्त, राज्य प्रतिनिधि, राज्य सहायक, राज्य बोहरा, राज्य हितेच्छु, और राज्य मुसाहिब आदि का भी कार्य करने लग गये, तब से राज्यकी नौकरीसे भी जीविका करते हैं। इस बात को जैसलमेरकी तवारीखके पृष्ट १९ वें की पंक्ति १० तथा पृष्ठ २३२ की पंक्ति ११ में स्वीकार किई है कि पुष्करणे ब्राह्मण
___ "जी इज्जत व मुसाहिब हर ओहदों पर रहते हैं।" "पुष्करणोंमें पुरोहित, व्यास, आचार्य थानवी आदि मुसाहिबोंमें हैं।"
इसी प्रकार रिपोर्ट मर्दुम शुमारी राज्य मारवाड़ के भाग तीसरे के पृष्ठ ३९७ वेंकी । पंक्ति १८ तथा पृष्ठ १६१ वेंकी पंक्ति १९ में लिखा है कि___ "पुष्करणे ब्राह्मण भी बहुत वर्षों से यह (मुत्सदियोंका) पेशा करते हैं।" "राज्य की नौकरी को ज़ियादा पसन्द करते हैं।" - इसके उपरान्त बहुतसे लोग व्यापार भी अधिकतासे करते है । इस वातको भी रिपोर्ट मर्दुम शुमारी राज्य मारवाड़ के भाग तीसरेके पृष्ठ १६१ वेंकी पंक्ति २० में स्वीकार किई है कि
"बहुत लोग वनिज व्यापार भी करते हैं और उसके वास्ते परदेशों में दूर २ चले जाते हैं।"
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