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व्याजपर रुपये उधार देनेका काम भी बहुधा पुष्करणे ब्रा. ह्मण भी अधिक करते हैं। क्योंकि ये राजवर्गी होनेमे इनके रूपये पीछे वसूल होने में दिक्कत नहीं पड़ती।तिसपरभी यदि किसीका विश्वास न हो तो फिर गहना आदि गिरवी रखकर देते हैं। किसानी बोहरगत
खेती करने वाले जोतनेको बैल, बोने को वीज, खाने को धान्य, और पहनने को वस्त्र, इत्यादि वस्तुएं लाने के लिये एक बोहरा बना रखते हैं, जिससे द्रव्य लाते हैं, और फिर फसल पाने पर उनके यहां पीछा जमा करा देते हैं। ऐसी बोहरगत करनेवाले भी पुष्करणे ब्राह्मण अधिक हैं । जैसे जोधपुर के बोड़ा मवदत्तजी शालगरामजी आदि । बाहरसे माल लाना ले जाना____ अमर कोट, फलौधी, मलार, जैसलमेरके कितनेक पुष्करणे ब्राह्मण प्रत्येक प्रकारका माल सिन्ध आदि देशों से ला करके तो मारवाड़ में बेचतेथे, और मारवाड़ से ले जाके बाहर बेचते ये । इस प्रकारका व्यापार करने के लिये वे अपने निजके ऊँट रखते थे । परन्तु अब रेलका विस्तार हो जाने से उनका यह व्यापार उठ गया । महाजनी व सर्राफ़ी रोज़गार
हाज़िर माल वा हुण्डी चिठी, आदिका कार्य करनेवालों में भी पुष्करणे ब्राह्मण अधिक नापी हुये हैं । पहिले रेल नहीं थी, उस समय भी बाहर दिशावरों में दूर २ तक कई स्थानों में इ. नकी दूकानें थीं। जैसे जैसलमेर के विशा सालिमचन्दजी आल. मचन्दजी की मालवा मान्त में,विशा शंकरलालजी देवकरणजीकी
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