________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तथा कई ताम्रपत्र आदि राज्य लेख पुष्करणे ब्राह्मणों की जातिमें विद्यमान हैं। राज्य शासनं पत्र तोन दों में गिने जाते हैं। एक तो राजाकी आज्ञामे दीवान आदि के हस्ताक्षर वाले, दूसरे स्वयं राजाके हस्ताक्षर वाले, और तीसरे सम्पूर्ण लेख ही स्वयं राजाके हस्ताक्षरों से लिखे जानेवाले जो कि 'खास रुक्के' कहलाते हैं । इन में प्रथम की अपेक्षा तो दूसरा और दूसरे की अपेक्षा तीसरा अत्यन्त ही अधिक सन्मान सूचक माना जाता है । 'पुकरणे ब्राह्मणों के पास भी ऐसे अधिक सन्मान सूचक ख़ास रुक्कों की भी कमी नहीं है। जिनके देखने से पुष्करणे ब्राह्मणों की जाति की बहुत कालसे राजाओंके शुभ चिन्तक होने रूपी महान् कीचि प्रगट होती है।
परन्तु इस छोटी सी पुस्तक में तो इतना स्थान कहाँ ही जो वे लेख लिखे जा सकें ? अतः वे सब लेख पुष्करणोत्पत्ति नामक पुस्तक में, जो अब बन रही है, उन परवानों तथा ताम्रपत्रों के देनेवाले राजाओं के और पानेवाले पुष्करणों के पूर्ण वृत्तान्त सहित लिखे जावेंगे।
पुष्करणे ब्राह्मण व्यापारी । व्यापार करने वालों में मारवाड़ी ही अधिक प्रसिद्ध हैं। और मारवाड़ में महेश्वरी, ओसवाल, अग्रवाल, और पुष्करणे ब्राह्मणही अधिक हैं । परन्तु व्यापार करना विशेष करके वैश्यों ही का कर्म होने और स्वयं पुष्करणे ब्राह्मण इस देश के राजाओं के पुरोहित, गुरु, मुसाहिब आदि होने से बे व्यापार कम क.
For Private And Personal Use Only