________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
७३ मत्कार दिखलाया था जिस से प्रसन्न होके 'माँगलियावास' नामका एक गाँव, जो अजमेर के इलाके में है, दिया था; सो आन तकउनके वंशवाले पुष्करणे ब्राह्मणोंकी स्वाधीनतामें चला आता है।
बड़ौदाके महाराजा गणपतराव गायकवाड़को चण्डवाणी जोशी 'ज्येष्ठमलनी' ने ज्योतिष के फलित के कई वार अद्भुत२ चमत्कार दिखलाये थे, जिस के प्रभावसे उनको लाखोही रुपये मिले थे। वे भी उन रुपयों को ब्राह्मण भोजन कराने आदि ही में लगा देते थे । आजतक उनकी सन्तानको भी बड़ौदेके राज्यसे कुछ वार्षिक मिलता है। ___ इसी प्रकार कइयोंसे पुष्करणे ब्राह्मणोंको गाँव, कुँए, खेत आदि मिले हैं । और जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, आदि की रियासतों में 'राज ज्योतिषी' के पद पर पुष्करणे ही ब्राह्मण नियत हैं।
-
-
पुष्करणे ब्राह्मण राज्य वैद्य । इस जातिमें आयुर्वेद विद्या भी परम्परा से चली आती है। इस के प्रतापसे बादशाहों के समयमें भी जागीरें मिली थीं, जिनका संक्षिप्त वृत्तान्त टंकशाली व्यास लल्लूजी व व्यास देवऋ. पिजी के इतिहास में लिखा गया है । इस के उपरान्त अन्यान्य राजाओंसे मिली हुई जागीरें तो अब तक विद्यमान हैं।
जोधपुर के राव जोधाजी के पुत्र बीकाजी अपना राज्य पृथक् स्थापित करने के लिये 'जाङ्गलु देशकी ओर गये तो वहां 'कोडमदे सर' नामक एक गाँव में ठहरे थे। वहां पर उनकी महाराणी आसन्न प्रसुता होने के कष्टसे बहुत ही अधिक पीड़ीत थी। उस समय जैसलमेर के राजवैद्य व्यास देवऋषिजी के पुत्र 'जू.
For Private And Personal Use Only