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ठाजी' तीर्थयात्रा को जाते हुये वहांपर आ गये। उन्होंने तत्काल महाराणी को उस कष्टसे मुक्त किई, जिस से प्रमन्न हो के बीकाजीने बीकानेर का राज्य स्थापित होनेपर उनको एक गाँव दिया था, सो आज तक उनकी सन्तान की स्वाधीनतामें है। और वेही जूठाणी व्यास बीकानेर दरबार के यहां राज्यवैद्य हैं।
इसी प्रकार जैसलमेर, जोधपुर आदिमें 'राज्यवैद्य' के पद पर भी पुष्करणे ही ब्राह्मण हैं ।
पुष्करणे ब्राह्मण राज रक्षक। जिस प्रकार जैसलमेर के भाटी महाराजाओं के पूर्वज भाटी देवराजजी को पुष्करणे ब्राह्मण देवायतजी व उन के पुत्र रत्नू ने प्राण रक्षा किई थी। उसी प्रकार जोधपुर के राठौड़ महाराजों के पूर्वज महाराजा यशवन्तसिंहजी के वालक पुत्र अजितसिंहजी की रक्षा भी पुष्करणे ब्राह्मण पुरोहित जयदेव नोने किई यो।
यशवन्तसिंह जी के काबुल में देहान्त हो जाने पर उनको एक गर्भवती गणी उनके साथ मती न होने दिई जाने पर पोछो मारवाड़ को लौट रही था। मार्ग में लाहोरमें उनके गर्भसे अजितसिंहजी का जन्म हुआ। राठौड़ इन्हें जोधपुर का राज्याधिकारी बनाने के लिये दिल्लो ले गये। किन्तु बादशाहने स्वीकार न करके पकड़ने को इन्हें घेर लिये । उस समय उदयसिंहजी कुँपावत दुर्गादासजी करनसोत व गोइन्ददासजी खीची आदि की सम्मति से अजितसिंहजी घेरे में से निकाल लिये गये, जिन्हें पुरोहित जयदेवजीने आबू के अन्तर्वर्ती छप्पन के पहाड़ों में ले जाकर अपनी स्त्रीको सौंप के ७ वर्षों तक तो वहां पर पालन किया।
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