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पुष्करणे ब्राह्मणही नियत हैं किन्तु जैसलमेर जोधपुर में ऐसे एक जातिवाले नियत नहीं है परन्तु जिस समय इस पदपर जो नियत होते हैं उन्ही के पास विद्याभ्याग करवाते हैं।
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पुष्करणे ब्राह्मण राज्य कथा व्यास । इस जातिमें जैसे वेदोंका प्रचार है वैसेही मन्वादि धर्मशास्रो, महाभारतादि इतिहासों और भागवतादि पुराणों काभी प्रचार है। इस लिये मारवाड़ देशमें धर्मके उपदेशक भी बहुधा पुष्करणेही ब्राह्मण हैं । जैसलमेर जोधपुर बीकानेर के पहाराजाओ के राज्य मन्दिरों में तथा इन राज्यों के अन्तरगत के छोटे बड़े जागीरदारों के मन्दिरों में प्रतिदिन कथा बाचने के लिये सदासे पुष्करणेही ब्राह्मण नियत हैं । इसके उपरान्त अपन अन्यान्य यजमानों के यहां भो कथा वाचते है और वंश परम्परा मे कथा वाचनेवालोंकी उपाधि भो 'कथा व्यास' के नामसे प्रसिद्ध हो गई है।।
पुराणादिक शास्त्रों का पाठ करने वालों को व्याकरण कोष काव्य अलङ्कार छन्द आदि अन्यान्य ग्रथ भी पढ़ने पड़ते हैं अतः पुष्करणे ब्राह्मण भी इन ग्रन्थों के बडे विद्वान पूर्ण ज्ञाता पण्डित होनेसे नाना प्रकार की उपाधियोंसे विभूषित हैं।
पुष्करणे ब्राह्मण राज्य पुस्तकाध्यक्षः ।
राजाओ के यहां प्राचीन हस्त लिखित पुस्तकोंका सङ्ग्रह सदासे रहता आया है और मारवाड़के ब्राह्मणों में बहुधा पुष्करणे ब्राह्मण ही विशेष विद्वान होते हैं अतः राज्य के 'पुस्तका.
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