________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जम्भावती (कञ्चनमाला ) की सगाई पृथ्वीराज चौहानसे की थी। किन्तु पीछे से नाहरराव की इच्छा बदल जाने से विवाह करने की यह कह के नांहीं कर दो कि अजमेर के चौहानों का कुल हमारे योग्य नहीं है । इसी पर पृथ्वीराज ने आनन्द* नामक संवत् ११२९ (विक्रम संवत् ११२५) अष्टमी रविवारको नाहररावपर चढ़ाई की। ५ दिन तक घोर युद्ध होनेके पश्चात् नाहरराव हारके भाग गया, और मंत्री आदिकों की सम्मतिसे पृथ्वीराजको अपनी कन्या व्याह देने का लग्न भेजा। पृथ्वीराज ने भी प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार करके पञ्चमी रविवार को नाहरराव की कन्या से विवाह किया।
(२) आनन्द सं० ११४४ (विक्रम सं० १२४० ) में पृ. थ्वीराज शाहबुद्दीन के सामने लड़ने को गया था । उस समय अवसर देखके पाटन (गुजरात) के चालुक्य (सोलंखी) राजा भोलाभीमने भी पृथ्वीराज पर चढ़ाई की । तो पृथ्वीराज की
ओर से सेनापति ‘कैमाप्त' ने मण्डोर के राजा नाहरराव पहि. हार सहित मारवाड़ के गाँव धणले, परगने सोजत, में उस का सामना किया था। वहां पर राजा नाहरराव पड़िहार मारा गया। तब पृथ्वीराजने उसके पुत्र पड़िहार मोवणसी और अल्ह को मण्डोर का राज्य दिया । ये दोनों भाई पृथ्वीराज के १०० सामन्तों में से थे । इन में अल्ह तो पृथ्वीराज के लिये कन्नौज की लड़ाई में आनन्द सं० ११५४ (विक्रम सं० १२५०) में मारा गया और मोवणसी आनन्द सं० ११५५(विक्रम सं० १२५१)
* पृथ्वीराज रासे में चन्द भाटने जो संवत् लिखा है वह 'आनन्द' नामक संवत् है । उस में ९६ वर्ष मिलानेसे 'विक्रम संवत् होता है ।
For Private And Personal Use Only