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खुदवाया जो अब अगरचे रेत और मिट्टी से भर गया है मगर फिर भी उसको पाल कोशों तक नज़र आती है, जिस में बड़े भारी पत्थर लगे हैं।"
"नाहरराव के भाई बालराव का बनाया बाळ समन्द का तालाब अब तक जोधपुर और मण्डोर के रास्ते पर मौजूद है।" (देखो 'मारवाड़ की जागराफी (भूगोल) सन् १८८३-८४ का ५० वाँ पृष्ठ)
आशिया जातिके चारणों के इतिहास का मत
पड़िहार राजपूतों के पोलपाट बारहट पहिले आशिया जाति के चारण थे । किन्तु नाहरराव पड़िहार के बेटे धूम कुंवर को उसके पोलपाट बारहट वीरभान आशियाने चौपड़ (चौसर )के खेल में तकरार हो जाने से मार डाला । इस पर क्रोधित होके पड़िहारोंने आशिया जाति के चारणों को निकाल के सिडायचे जातिके चारणों को अपना पोलपाट बारहट बनाया । उस समय का यह एक दोहा है कि:
धूम कुँवर नै मारियो चौपड़ पासै चोळ । तिण दिन छोडो आशियाँ पड़िहाराँरी पोळ॥
तब वोर भान राठौड़ों के यहां जा रहा । और मारवाड़ में राठौड़ कन्नौज से सं० ११९६ में आये हैं; अतः यही समय ना. हरराव पड़िहार का प्रतीत होता है।
पृथ्वीराज रासे का मत(१) मण्टोर के राजा नाहरराव पड़िहारने अपनी कन्या
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