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सं० ५७६ में 'मुमण वाण' के भाटी राजा मङ्गलराव से हुआ था इसी प्रकार सात पँवार के वंश में कई पीढ़ी पीछे पँवार उदय राज मण्डोरका राजा हुआ उसकी कन्याका विवाह सं०७१३के पीछे 'मरोट' के भाटी राजा मूलराज से हुआ था। (देखो जैसलमेर की तवारीख़ के पृष्ठ १६ वें की पंक्ति ६७८ तथा पृष्ठ १७ वें को पंक्ति २।३) इन के पीछे भी कई पीढ़ियों तक मण्डार में पँवारों का राज्य रहा है।
किन्तु सं० ९०९ के पीछे भाटी राजा देवराजने पँवारों के ९ कोट* जीत लिये उन में से जालोर तो सोनीगरों को और मण्डोर पड़िहारों को दे दिये। तब से मण्डोर में पड़िहारों का राज्य ___* पवारों के ९ कोट भाटी देवराजने जीत लियेथे उनकी तफ़सील जैसलमेरकी तवारीख के पृष्ठ २३ वेंकी पंक्ति ४ से १० तक यों लिखी हैं:देवराज श्रये दुर्ग लद्रवाँ आप घर लाए। सम वहण त्रय सिन्ध जूनो पारकर जमाऐ ॥ आबू फेरो आज भडु जालोर हु भंजै। मारे नृप माहोर मअजमेर हु गंजै॥ पंगल गढ़ लीधा प्रगट कतल विठंडै कीजिये । देव राज चढ़ते दिवस रत्नू आज्ञा धर लोजिये ॥ ___+ जैसलमेरकी तवारीखमें तो लिखा है कि भाटी देवराजने मण्डोर पडि ारों को दे दिया। किन्तु पडिहार राजा बाहुकके शिला लेखमें लिखा है कि पड़िहार राजा शिलुकने भाटी देवराज को युद्ध में जीतके छत्रादि चिद पाये । अतः उसी समय मण्डोर भी जीतकर ले लिया हो । इससे भी यही बात सिद्ध होती है कि मण्डोर में पड़िहारों का राज्य सं० ९०९ के लगभग ही हुआ है।
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