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समाप्त करता हूं। किन्तु आगे फिर में अन्य प्रकार के कुछ प्र. माण और भी लिखूगा कि, जिससे पुष्करणे ब्राह्मणों की प्राची. नता और भी अधिक दृढ़ हो जावेगी।
पुष्कर खुदने में किसी किसी का मत भेद ।
सम्पूर्ण लोगों का एकही मत है कि पुष्करजी का तालाब मण्डोर के राजा नाहरराव पडिहारने खुदवाया था और संवत् १२१२ में खुदवाया था जिप्त की सत्यता के कई प्रमाण लिखे जा चुके हैं। परन्तु कोई २ नवीन इतिहास वेता कहलाने वाले अपनी खिचड़ी जुदी ही पकाना चाहते हैं उन का भी मत दिखला के भ्रम दूर करता हूं।
पुष्करजो के पण्डों की कहानी। पुष्कर तीर्थ पर पण्डों के २ भेद हैं। एक तो बड़ी वस्ती वाले और दूसरे छोटी वस्ती वाले । इन में बड़ी वस्ती वाले अपनी तीर्थ पुरोहिताई की प्राचीनता की कहानी में कहते हैं कि "पुष्करजी के तालाब को मण्डोर के राजा नाहरराव पड़िहारने सं० ७४४ में खुदवाया था।"
परन्तु इस कहानी की सत्यता के लिये वे केवल अपने मुख की कल्पना के अतिरिक्त अन्य कोई पुष्ट प्रमाण नहीं बतलाते अतः विना प्रमाण इनकी यह बात बिलकुल विश्वास करने योग्य नहीं । क्यों कि
प्रथम तो अजमेर की तवारीख इस कहानी को बिलकुल स्वीकार नहीं करती। दूसरा जोधपुर से प्रकाशित 'भारत मार्चण्ड' नामक मासिक पुस्तक के सं० १९५५ के श्रावण मासके अङ्क
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