________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
है। वह यों है:
लोक अफवाह में ऐसा कहा जाता है कि नाहरराव पडिहारने पुष्करजी की रेत खुदाई थी। उस वक्त एक लाख बा. मणों को जिमाने का सङ्कल्प किया था । मगर ८०००० से ज़ियादा ब्राह्मण नहीं आये, जिससे उसने २०००० ओडों को जनेऊ पहिनाके ब्राह्मणों के साथ जिमा दिया । उस दिन से पुष्करणे ब्राह्मणों की जाति पैदा हुई।" ।
जिस प्रकार टाड साहिबने विश्वास न होने से 'अजब कहानी' कह के लिखी है, वैसे ही इस रिपोर्ट लिखने वाले को भी इस पर कुछ भी विश्वास नहीं था, तभी तो इसे 'पुष्करणों की उत्पत्ति का इतिहास' न कह के 'लोक अफवाह' कहा है। इतना ही नहीं किन्तु यह लोक अफ़वाह बिलकुल बेबुनियाद मन घटित, कपोल कल्पित, सर्वथा मिथ्या होनेसे उसी रिपोर्ट मर्दुम शुमारी, राज्य मारवाड़ने ही कई पुखता प्रमाण दे के उसी स्थान पर पृष्ठ १६१ वें में इसका पीछा खण्डन भी कर दिया है । वह यों है:
"नाहरराव पड़िहार के वक्त में पुष्करणों की उत्पत्ति होना भी ग़लत है । क्योंकि नाहररावसे कई सौ वर्ष पहिले देवराज भाटी हुआ है। उस के ज़माने में पुष्करणे थे । बल्कि उस के पुरोहित* रत्नासे रत्न चारणों की जाति पैदा हुई है । और रत्ना का भानजा जो १ चोहटिया* जोशी था, वह चारण होने के पीछे उसका पुरोहित हो गया । सो अब तक रत्नू चारणों ___ * ये दोनों पुष्करणे ब्राह्मण थे। इन में पुरोहित रत्नू को देवराज भाटी को अपने साथ भोजन कराने से चारणों की जाति में जाना पड़ा, तब से उसकी सन्तान रत्नू चारण कहलाती है ।
For Private And Personal Use Only