Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
६. अल्प बहुत्व द्वार एएसि णं भंते! सोइंदिय चक्खिदिय घाणिंदिय जिब्भिंदिय फासिंदियाणं ओगाहणट्ठयाए पएसट्ठयाए ओगाहणपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवे चक्खिदिए ओगाहणट्ठयाए, सोइंदिए ओगाहणट्ठयाए संखिजगुणे, घाणिदिए ओगाहणट्ठयाए संखिजगुणे, जिभिदिए ओगाहणट्ठयाए असंखिजगुणे, फासिदिए ओगाहणट्ठयाए संखिजगुणे, पएसट्ठयाए-सव्वत्थोवे चक्खिदिए पएसट्ठयाए, सोइंदिए पएसट्टयाए संखिजगुणे, घाणिदिए पएसट्ठयाए संखिज्जगुणे, जिब्भिदिए पएसट्टयाए असंखिज्जगुणे, फासिंदिए पएसट्टयाए संखिज्जगुणे,
ओगाहणपएसट्ठयाए-सव्वत्थोवे चक्खिदिए ओगाहणट्ठयाए, सोइंदिए ओगाहणट्ठयाए संखिज्जगुणे, घाणिंदिय ओगाहणट्ठयाए संखिजगुणे जिब्भिंदिए ओगाहणट्टयाए । असंखिजगुणे फासिदिए ओगाहणट्ठयाए संखिजगुणे, फासिंदियस्स ओगाहणट्ठयाएहितो
चक्खिदिए पएसट्टयाए अणंतगुणे, सोइंदिए पएसट्ठयाए संखिज्जगुणे, घाणिदिए : पएसट्ठयाए संखिजगुणे, जिभिदिए पएसट्ठयाए असंखिजगुणे, फासिंदिए पएसट्ठयाए
संखिजगुणे॥४३०॥ : भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! इन श्रोत्रेन्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, जिह्वेन्द्रिय और स्पर्शनेन्द्रिय में से अवगाहना की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से तथा अवगाहना और प्रदेशों की अपेक्षा से कौन, किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
उत्तर - हे गौतम! अवगाहना की अपेक्षा से सबसे कम चक्षुरिन्द्रिय है, उससे श्रोत्रेन्द्रिय अवगाहना की अपेक्षा से संख्यातगुणी है, उससे घ्राणेन्द्रिय अवगाहना की अपेक्षा से संख्यातगुणी है, उससे जिह्वेन्द्रिय अवगाहना की अपेक्षा से असंख्यातगुणी है, उससे स्पर्शनेन्द्रिय अवगाहना की अपेक्षा से संख्यातगुणी है। प्रदेशों की अपेक्षा से-सबसे कम चक्षुरिन्द्रिय है, उससे श्रोत्रेन्द्रिय प्रदेशों की अपेक्षा से संख्यातगुणी है, उससे घ्राणेन्द्रिय प्रदेशों की अपेक्षा से संख्यातगुणी है, उससे जिह्वेन्द्रिय प्रदेशों की अपेक्षा से असंख्यातगुणी है, उससे स्पर्शनेन्द्रिय प्रदेशों की अपेक्षा से संख्यातगुणी है। अवगाहना और प्रदेशों की अपेक्षा से-सबसे कम अवगाहना की अपेक्षा से चक्षुरिन्द्रिय है, उससे अवगाहना की अपेक्षा
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