Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
ग्यारहवां द्रव्येन्द्रिय द्वार
कइविहाणं भंते! इंदिया पण्णत्ता
गोमा ! दुविहा पण्णत्ता । तंजहा - दव्विंदिया य भाविंदिया य।
भावार्थ- प्रश्न - हे भगवन् ! इन्द्रियाँ कितने प्रकार की कही गई हैं ?
उत्तर - हे गौतम! इन्द्रियाँ दो प्रकार की कही गई हैं, वे इस प्रकार हैं- द्रव्येन्द्रिय और भावेन्द्रिय ।
कणं भंते! दव्विंदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! अट्ठ दव्विंदिया पण्णत्ता । तंजहा- दो सोत्ता, दो णेत्ता, दो घाणा, जीहा, फासे ।
भावार्थ- प्रश्न - हे भगवन् ! द्रव्येन्द्रियाँ कितनी कही गई हैं ?
उत्तर - हे गौतम! द्रव्येन्द्रियाँ आठ प्रकार की कही गई हैं, वे इस प्रकार हैं- दो श्रोत्र, दो नेत्र, दो घ्राण (नाक), जिह्वा और स्पर्शन ।
रइयाणं भंते! कइ दव्विंदिया पण्णत्ता ?
गोयमा! अट्ठ एए चेव, एवं असुरकुमाराणं जाव थणियकुमाराण वि ।
भावार्थ- प्रश्न हे भगवन्! नैरयिकों के कितनी द्रव्येन्द्रियाँ कही गई हैं?
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उत्तर - हे गौतम! नैरयिकों के ये ही आठ द्रव्येन्द्रियाँ हैं। इसी प्रकार असुरकुमारों से स्तनितकुमारों तक ये ही आठ द्रव्येन्द्रियाँ समझनी चाहिए।
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पुढविकाइयाणं भंते! कइ दव्विंदिया पण्णत्ता ?
गोमा ! एगे फासिंदिए पण्णत्ते। एवं जाव वणस्सइकाइयाणं ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पृथ्वीकायिकों के कितनी द्रव्येन्द्रियाँ कही गई हैं?
उत्तर - हे गौतम! पृथ्वीकायिकों के केवल एक स्पर्शनेन्द्रिय कही गई है । अप्कायिकों से लेकर वनस्पतिकायिकों तक के इसी प्रकार एक स्पर्शनेन्द्रिय समझनी चाहिए।
बेइंदियाणं भंते! कइ दव्विंदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! दो दव्विंदिया पण्णत्ता । तंजहा - फासिंदिए य जिब्भिदिए य ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! बेइन्द्रिय जीवों के कितनी द्रव्येन्द्रियाँ कही गई हैं?
उत्तर - हे गौतम! बेइन्द्रिय जीवों के दो द्रव्येन्द्रियाँ कही गई हैं, वे इस प्रकार हैं - स्पर्शनेन्द्रिय
और जिह्वेन्द्रिय ।
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