Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
गोयमा! णो इणढे समढे, सव्वविरई पुण लभेजा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! धूमप्रभापृथ्वी के नैरयिक के सम्बन्ध में प्रश्न यह है कि - क्या वह धूमप्रभापृथ्वी के नैरयिकों में से निकल कर सीधा तीर्थंकरत्व प्राप्त कर सकता है?
उत्तर - हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है। किन्तु वह विरति (संयम) प्राप्त कर सकता है। तमप्पभा पुढवी-पुच्छा? गोयमा! णो इणढे समढे विरयाविरई पुण लभेजा। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इसी प्रकार का प्रश्न तमःप्रभापृथ्वी के नैरयिक के सम्बन्ध में है।
उत्तर - हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है, किन्तु तमःप्रभापृथ्वी का नैरयिक विरताविरति (श्रावकपना) को प्राप्त कर सकता है।
अहेसत्तमपुढवी पुच्छा? गोयमा! णो इणढे समढे, सम्मत्तं पुण लभेजा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! अब अधःसप्तमपृथ्वी के नैरयिक के विषय में पृच्छा है कि क्या वह तीर्थंकरत्व प्राप्त कर सकता है?
उत्तर - हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है, किन्तु वह तिर्यंच पंचेन्द्रिय के भव में सम्यक्त्व प्राप्त कर सकता है।
विवेचन - पङ्कप्रभा आदि अन्तिम चार नरक पृथ्वियों के नैरयिकों की उपलब्धि-पङ्कप्रभा वाले नैरयिक अपने भव से निकल कर तीर्थङ्कर पद प्राप्त नहीं कर सकते किन्तु वे मनुष्य भव में केवल ज्ञान प्राप्त करके अन्तक्रिया कर सकते हैं। धूमप्रभा पृथ्वी के नैरयिक वहाँ से निकल कर मनुष्य भव प्राप्त करके सर्व विरति (संयम) अवस्था को प्राप्त कर सकते हैं केवल ज्ञान के सिवाय शेष चार ज्ञानों को प्राप्त कर सकते हैं। तमःप्रभा पृथ्वी के नैरयिक वहाँ से निकल कर मनुष्य के भव में देशविरति चारित्र (श्रावकपना) को प्राप्त कर सकते हैं, संयम प्राप्त नहीं कर सकते हैं। तमस्तमः प्रभा पृथ्वी के नैरयिक वहाँ से निकल कर मनुष्य भव को भी प्राप्त नहीं कर सकते हैं किन्तु तिर्यंच पंचेन्द्रिय के भव को प्राप्त कर सकते हैं एवं सम्यक्त्व प्राप्त कर सकते हैं। श्रावकपना आदि प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
असुरकुमारस्स पुच्छा? गोयमा! णो इणढे समटे, अंतकिरियं पुण करेजा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इसी प्रकार की पृच्छा असुरकुमार के विषय में है कि क्या वह असुरकुमारों में से निकल कर सीधा तीर्थंकरत्व प्राप्त कर सकता है?
उत्तर - हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है, किन्तु वह अन्तक्रिया कर सकता है।
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