Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 408
________________ इक्कीसवां अवगाहना-संस्थान पद - शरीर की अवगाहना का अल्पबहुत्व द्वार 395 उक्कोसियाए ओगाहणाए-सव्वत्थोवा आहारगसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा, ओरालियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा संखिजगुणा, वेउव्वियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा संखिजगुणा तेयाकम्मगाणं दोण्ह. वि तुल्ला उक्कोसिया ओगाहणा असंखिजगुणा। जहण्णुक्कोसियाए ओगाहणाए-सव्वत्थोवा ओरालियसरीरस्स जहणिया ओगाहणा, तेयाकम्मगाणं दोण्ह वि तुल्ला। जहणिया ओगाहणा विसेसाहिया, वेउव्वियसरीरस्स जहणिया ओगाहणा असंखिज्जगुणा आहारगसरीरस्स जहणिया ओगाहणा असंखिजगुणा, आहारगसरीरस्स जहणियाहिंतो ओगाहणाहितो तस्स चेव उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया, ओरालियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा संखिजगुणा, वेउव्वियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा संखिज्जगुणा, तेयाकम्मगाणं दोण्ह वि तुल्ला उक्कोसिया ओगाहणा असंखिजगुणा॥५८१॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण इन पांच शरीरों ' में से, जघन्य अवगाहना, उत्कृष्ट अवगाहना एवं जघन्योत्कृष्ट अवगाहना की दृष्टि से, कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं? उत्तर - हे गौतम! सबसे कम औदारिक शरीर की जघन्य अवगाहना है। तैजस और कार्मण, दोनों शरीरों की अवगाहना परस्पर तुल्य है किन्तु औदारिक शरीर की जघन्य अवगाहना से विशेषाधिक है। उससे वैक्रिय शरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। उससे आहारक शरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुणी है। - उत्कृष्ट अवगाहना की अपेक्षा - सबसे कम आहारक शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना होती है। उससे औदारिक शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है। उसकी अपेक्षा वैक्रिय शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यातगुणी है। तैजस और कार्मण दोनों की उत्कृष्ट अवगाहना परस्पर तुल्य है, किन्तु वैक्रिय शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना से असंख्यातगुणी है। - जघन्योत्कृष्ट अवगाहना की अपेक्षा - सबसे कम औदारिक शरीर की जघन्य अवगाहना है। तैजस और कार्मण दोनों शरीरों की जघन्य अवगाहना एक समान है, किन्तु औदारिक शरीर की जघन्य अवगाहना की अपेक्षा विशेषाधिक हैं। उससे वैक्रिय शरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी हैं। उससे आहारक शरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुणी हैं। आहारक शरीर की जघन्य अवगाहना से उसी की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक हैं। उससे औदारिक शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना संख्यात Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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