Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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________________ 372 प्रज्ञापना सूत्र उत्तर - हे गौतम! मनुष्य के आहारक शरीर होता है, किन्तु अमनुष्य के आहारक शरीर नहीं होता है। जइ मणूस आहारग सरीरे किं सम्मुच्छिम मणूस आहारग सरीरे, गब्भवक्कंतिय मणूस-आहारग सरीरे? गोयमा! णो सम्मुच्छिम मणूस आहारग सरीरे, गब्भवक्कंतिय मणूस आहारग सरीरे। ___ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! यदि मनुष्यों के आहारक शरीर होता है तो क्या सम्मूछिम मनुष्य के होता है, या गर्भज मनुष्य के होता है ? उत्तर - हे गौतम! सम्मूछिम-मनुष्य के आहारक शरीर नहीं होता, अपितु गर्भज मनुष्य के . आहारक शरीर होता है। जइ गब्भवक्कंतिय मणूस आहारगसरीरे किं कम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणूस आहारग सरीरे, अकम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणूस आहारग सरीरे, अंतरदीवग गब्भवक्कंतिय मणूस आहारग सरीरे? गोयमा! कम्मभूमग गब्भवक्कंतियमणूस आहारग सरीरे, णो अकम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणूस आहारग सरीरे, णो अंतरदीवग गब्भवक्कंतिय मणूस आहारग सरीरे। . भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! यदि गर्भज मनुष्य के आहारक शरीर होता है तो क्या कर्मभूमिक गर्भज मनुष्य के आहारक शरीर होता है, अकर्मभूमिक गर्भज मनुष्य के आहारक शरीर होता है अथवा अन्तरद्वीपज मनुष्य के आहारक शरीर होता है ? उत्तर - हे गौतम! कर्मभूमिक गर्भज मनुष्य के आहारक शरीर होता है, किन्तु न तो अकर्म भूमिक गर्भज मनुष्य के आहारक शरीर होता है और न ही अन्तरद्वीपक गर्भज मनुष्य के आहारक शरीर होता है। - जइ कम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणूस आहारग सरीरे किं संखिजवासाउय कम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणूस आहारग सरीरे, असंखिजवासाउय कम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणूस आहारग सरीरे? गोयमा! संखिजवासाउय कम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणूस आहारग सरीरे, णो असंखिज्जवासाउय कम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणूस आहारग सरीरे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org