Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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इक्कीसवां अवगाहना-संस्थान पद - विधि द्वार
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१. औपपातिक वैक्रिय शरीर - जन्म से ही जो वैक्रिय शरीर मिलता है वह औपपातिक वैक्रिय शरीर कहलाता है। देवता और नारकी के नैरिये जन्म से ही वैक्रिय शरीरधारी होते हैं।
२. लब्धि प्रत्यय वैक्रिय शरीर - तप आदि द्वारा प्राप्त लब्धि विशेष से प्राप्त होने वाला वैक्रिय शरीर लब्धि प्रत्यय वैक्रिय शरीर कहलाता है। मनुष्य और तिर्यंच में लब्धि प्रत्यय वैक्रिय शरीर होता है।
३. आहारक शरीर - प्राणी दया, तीर्थंकर भगवान् की ऋद्धि का दर्शन, नये ज्ञान की प्राप्ति तथा . संशय निवारण आदि प्रयोजनों से चौदह पूर्वधारी मुनिराज, अन्य क्षेत्र (महाविदेह क्षेत्र) में विराजमान तीर्थंकर भगवान् के समीप भेजने के लिए लब्धि विशेष से अतिविशुद्ध स्फटिक के सदृश एक हाथ का जो पुतला निकालते हैं वह आहारक शरीर कहलाता है। उक्त प्रयोजनों के सिद्ध हो जाने पर वे मुनिराज उस शरीर को छोड़ देते हैं।
४. तैजस शरीर - तैजस पुद्गलों से बना हुआ शरीर तैजस शरीर कहलाता है। प्राणियों के शरीर में विद्यमान उष्णता से इस शरीर का अस्तित्व सिद्ध होता है। यह शरीर आहार का पाचन करता है। तपोविशेष से प्राप्त तैजस्लब्धि का कारण भी यही शरीर है।
५. कार्मण शरीर - कर्मों से बना हुआ शरीर कार्मण कहलाता है। अथवा जीव के प्रदेशों के साथ लगे हुए आठ प्रकार के कर्म पुद्गलों को कार्मण शरीर कहते हैं। यह शरीर ही सब शरीरों का बीज है अर्थात् मूल कारण है।
पांचों शरीरों के इस क्रम का कारण यह है कि आगे आगे के शरीर पिछले की अपेक्षा प्रदेश बहुल (अधिक प्रदेश वाले) हैं एवं परिणाम में सूक्ष्मतर हैं। तैजस और कार्मण शरीर सभी संसारी जीवों के होते हैं। इन दोनों शरीरों के साथ ही जीव मरण देश को छोड़ कर उत्पत्ति स्थान को जाता है। अर्थात् ये दोनों शरीर परभव में जाते हुए जीव के साथ ही रहते हैं किन्तु मोक्ष में जाते समय ये दोनों शरीर भी छूट जाते हैं। - ओरालियसरीरे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते?
गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते। तंजहा - एगिंदिय ओरालियसरीरे जाव पंचिंदिय ओरालियसरीरे। . भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! औदारिक शरीर पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार है - एकेन्द्रियऔदारिक शरीर यावत् पंचेन्द्रिय-औदारिक शरीर। . विवेचन - औदारिक शरीर एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय के भेद से पांच प्रकार का है।
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