Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
७४
प्रज्ञापना सूत्र
और भविष्य में किसी के होंगी किसी के नहीं होंगी। जिसके होंगी उसके आठ अथवा नौ यावत् संख्यात असंख्यात अनन्त होंगी।
वाणव्यन्तर, ज्योतिषी और पहले दूसरे देवलोक के एक-एक देवता ने द्रव्येन्द्रियाँ अतीत काल में अनन्त की, वर्तमान काल में आठ हैं और भविष्य में आठ अथवा नौ यावत् संख्यात, असंख्यात, अनन्त होंगी।
तीसरे देवलोक से नवग्रैवेयक के एक-एक देवता ने अतीत में द्रव्येन्द्रियाँ अनन्त की, वर्तमान में आठ हैं और भविष्य में आठ अथवा सोलह अथवा सतरह यावत् संख्यात-असंख्यात अनन्त करेंगे। - चार अनुत्तर विमान के एक-एक देवता ने द्रव्येन्द्रियाँ अतीत में अनन्त की, वर्तमान में आठ हैं और भविष्य में आठ अथवा सोलह अथवा चौबीस यावत् संख्यात करेंगे।
सर्वार्थ सिद्ध के एक-एक देवता ने द्रव्येन्द्रियाँ अतीतकाल में अनन्त की, वर्तमान में आठ हैं और भविष्य में भी आठ ही होंगी।
अनेक जीवों की अपेक्षा द्रव्येन्द्रियाँ नारकी के अनेक नैरयिकों ने अतीत में द्रव्येन्द्रियाँ अनन्त की, वर्तमान में असंख्यात हैं और भविष्य में अनन्त होंगी। संज्ञी मनुष्य और अनुत्तर विमान के सिवाय बहुत भवनपति, पांच स्थावर, तीन विकलेन्द्रिय, तिर्यंच पंचेन्द्रिय, असंज्ञी मनुष्य, वाणव्यन्तर, ज्योतिषी यावत् नवग्रैवेयक तक के देवों मे द्रव्येन्द्रियाँ अतीत में अनन्त की, वर्तमान में असंख्यात हैं और भविष्य में अनन्त होंगी। चार अनुत्तर विमान के बहुत देवों ने द्रव्येन्द्रियाँ अतीत काल में अनन्त की, वर्तमान में असंख्यात हैं और भविष्य में असंख्यात होंगी। सर्वार्थसिद्ध के बहुत देवों ने द्रव्येन्द्रियाँ अतीत काल में अनन्त की, वर्तमान में संख्यात हैं और भविष्य में संख्यात होंगी। बहुत संज्ञी मनुष्यों ने द्रव्येन्द्रियाँ अतीत काल में अनन्त की, वर्तमान में संख्यात हैं और भविष्य में अनन्त होंगी।
एगमेगस्स णं भंते! णेरइयस्स णेरइयत्ते केवइया दव्विंदिया अतीता? गोयमा! अणंता।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! एक-एक नैरयिक की नैरयिकपन-नैरयिक अवस्था में अतीत द्रव्येन्द्रियाँ कितनी हुई हैं ?
उत्तर - हे गौतम! एक-एक नैरयिक की नैरयिकपन में अतीत द्रव्येन्द्रियाँ अनन्त हुई हैं। केवइया बद्धेल्लगा? गोयमा! अट्ठ। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! बद्ध द्रव्येन्द्रियाँ कितनी हैं ?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org