Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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सोलहवां प्रयोग पद- समुच्चय जीवों में विभाग से प्रयोग प्ररूपणा
५, अहवेगे य आहारग मीससरीर कायप्पओगिणो य ६, अहवेगे य कम्मग सरीर कायप्पओगी य ७, अहवेगे य कम्मग सरीर कायप्पओगिणो य ८, एए अट्ठ भंगा पत्तेयं ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! मनुष्य क्या सत्यमनः प्रयोगी अथवा यावत् कार्मण शरीर काय प्रयोगी होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! मनुष्य सत्यमनः प्रयोगी यावत् औदारिक शरीर काय प्रयोगी भी होते हैं, 'वैक्रिय शरीर काय - प्रयोगी भी होते हैं और वैक्रिय मिश्र शरीर काय प्रयोगी भी होते हैं । १. अथवा कोई एक औदारिक मिश्र शरीर काय प्रयोगी होता है, २. अथवा अनेक मनुष्य औदारिक मिश्र शरीर / काय - प्रयोगी होते हैं, ३. अथवा कोई एक आहारक शरीर काय प्रयोगी होता है, ४. अथवा अनेक 1 आहारक शरीर काय - प्रयोगी होते हैं, अथवा ५. कोई एक आहारक मिश्र शरीर काय प्रयोगी होता है, ६. अथवा अनेक आहारक मिश्र शरीर काय प्रयोगी होते हैं, ७. अथवा कोई एक कार्मण शरीर कायप्रयोगी होता है, ८. अथवा अनेक कार्मण शरीर काय प्रयोगी होते हैं। इस प्रकार एक-एक के संयोग . से ये आठ भंग होते हैं ।
विवेचन - असंयोगी आठ भंग इस प्रकार हैं १. औदारिक मिश्र एक २. औदारिक मिश्र बहुत ३. आहारक एक ४. आहारक बहुत ५. आहारक मिश्र एक ६. आहारक मिश्र बहुत ७. कार्मण एक ८. कार्मण बहुत ।
अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगी य आहारग सरीर कायप्पओगी य १, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगी य आहारग सरीर कायप्पओगिणो य २, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगिणो य आहारग मीससरीर कायप्पओगी य ३, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगिणो य आहारंग सरीर कायप्पओगिणो
४ एवं एए चत्तारि भंगा, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगी य आहारग मीससरीर कायप्पओगी य १, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगी य आहारग मीससरीर कायप्पओगिणो य २, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगिणो य आहार मीससरीर कायप्पओगी य ३, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगिणो य आहारग मीससरीर कायप्पओगिणो य ४ चत्तारि भंगा, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगी य कम्मा सरीर कायप्पओगी य १, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगी य कम्मा सरीर कायप्पओगिणो य २, अहवेगे य ओरॉलिय
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ĐUÔI ĐỘNG CUỘC TÔI Ô HỘI
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