Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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सत्तरसमं लेस्सापयं बीओ उद्देसओ सत्तरहवाँ लेश्या पद-द्वितीय उद्देशक
चौबीस दण्डकों में लेश्याएं कणं भंते! लेस्साओ पण्णत्ताओ?
गोयमा! छल्लेस्साओ पण्णत्ताओ। तंजहा - कण्हलेस्सा, णीललेस्सा, काउलेस्सा, तेउलेस्सा, पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा॥ ४८६॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! लेश्याएं कितनी कही गई हैं?
उत्तर - हे गौतम! तेश्याएं छह कही गई हैं। वे इस प्रकार हैं - १. कृष्ण लेश्या, २. नील लेश्या ३. कापोत लेश्या ४. तेजो लेश्या ५. पद्म लेश्या और ६. शुक्ल लेश्या। . विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में छह लेश्याएं कही गई हैं। कृष्ण द्रव्य रूप अथवा कृष्ण द्रव्य से उत्पन्न हुई लेश्या, कृष्ण लेश्या है। इसी प्रकार नील लेश्या आदि का अर्थ भी समझ लेना चाहिए।
णेरइयाणं भंते! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? गोयमा! तिण्णि० तंजहा - कण्हलेस्सा, णीललेस्सा, काउलेस्सा। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! नैरयिकों में कितनी लेश्याएं होती हैं?
उत्तर - हे गौतम! नैरयिकों में तीन लेश्याएं होती हैं । वे इस प्रकार हैं - १. कृष्ण लेश्या २. नील लेश्या और ३. कापोत लेश्या।
तिरिक्ख जोणियाणं भंते! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? गोयमा! छ ल्लेस्साओ पण्णत्ताओ। तंजहा - कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! तिर्यंचयोनिक जीवों में कितनी लेश्याएँ कही गई हैं ?
उत्तर - हे गौतम! तिर्यंचयोनिक जीवों में छह लेश्याएं होती हैं, वे इस प्रकार हैं - कृष्ण लेश्या' से लेकर शुक्ल लेश्या तक।
एगिंदियाणं भंते! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? गोयमा! चत्तारि लेस्साओ पण्णत्ताओ। तंजहा - कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! एकेन्द्रिय जीवों में कितनी लेश्याएं होती हैं ? .
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