Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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सत्तरहवा लेश्या पद-तृतीय उद्देशक - सलेशी जीवों में उत्पाद-उद्वर्तन
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उद्वर्तन नहीं करता क्योंकि जब भवनवासी, वाणव्यन्तर, ज्योतिषी और सौधर्म ईशान कल्पों के देव तेजो लेश्या से युक्त होकर अपने भव का त्याग करके पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होते हैं तब कुछ काल तक अपर्याप्त अवस्था में उनमें तेजो लेश्या भी पाई जाती है किन्तु उसके पश्चात् तेजो लेश्या नहीं रहती, क्योंकि पृथ्वीकायिक जीव अपने भव स्वभाव से ही तेजो लेश्या के योग्य द्रव्यों को ग्रहण करने में समर्थ नहीं होते हैं। इसीलिए कहा गया है कि तेजो लेश्या वाला पृथ्वीकायिक में उत्पन्न तो होता है किन्तु तेजो लेश्या युक्त होकर उद्वर्तन नहीं करता। जिस प्रकार पृथ्वीकायिकों की वक्तव्यता कही है उसी प्रकार अपकायिकों एवं वनस्पतिकायिकों की भी वक्तव्यता कहनी चाहिये क्योंकि अपर्याप्त अवस्था में उनमें भी तेजो लेश्या पाई जाती है। तेजस्कायिकों, वायुकायिकों और तीन विकलेन्द्रियों में तेजो लेश्या संभव नहीं होने से कृष्ण, नील और कापोत इन तीन लेश्या संबंधी वक्तव्यता ही कहनी चाहिए।
वाणमंतरा जहा असुरकुमारा।
भावार्थ - वाणव्यन्तर देवों की उत्पाद-उद्वर्तन सम्बन्धी वक्तव्यता असुरकुमारों की वक्तव्यता के समान जाननी चाहिए। .
से णूणं भंते! तेउलेस्से जोइसिए तेउलेस्सेसु जोइसिएस. उववजइ? जहेव असुरकुमारा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! क्या तेजो लेश्या वाला ज्योतिषी देव तेजो लेश्या वाले ज्योतिषी देवों में उत्पन्न होता है? क्या वह तेजो लेश्या वाला होकर ही च्यवन करता है?
उत्तर - हे गौतम! जैसा असुरकुमारों के विषय में कहा गया है, वैसा ही कथन ज्योतिषी के विषय में समझना चाहिए।
एवं वेमाणिया वि, णवरं दोण्हं वि चयंतीति अभिलावो॥५०१॥
भावार्थ - इसी प्रकार वैमानिक देवों के उत्पाद और उद्वर्तन के विषय में भी कहना चाहिए। विशेषता यह है ज्योतिषी और वैमानिक देवों के लिए 'उद्वर्तन करते' हैं, इसके स्थान में 'च्यवन करते' हैं ऐसा अभिलाप करना चाहिए।
से णूणं भंते! कण्हलेस्से णीललेस्से काउलेस्से णेरइए कण्हलेस्सेसु णीललेस्सेसु काउलेस्सेसु णेरइएसु उववजेइ, कण्हलेस्से णीललेस्से काउलेस्से उववट्टइ, ज़ल्लेस्से उववजइ तल्लेस्से उववट्टइ?
हंता गोयमा! कण्ह णील काउलेस्से उववजइ, जल्लेस्से उववज्जइ तल्लेसे उववट्टइ।
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