Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
प्रश्न - हे भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहते हैं कि कापोत लेशी नैरयिक यावत् विशुद्धतर क्षेत्र को जानता देखता है?
उत्तर - हे गौतम! जैसे कोई पुरुष अत्यन्त सम एवं रमणीय भूभाग से पर्वत पर चढ़ जाए, फिर पर्वत से वृक्ष पर चढ़ जाए, तदनन्तर वृक्ष पर दोनों पैरों को ऊँचा करके चारों दिशाओं-विदिशाओं में सब ओर जाने - देखे तो वह बहुत क्षेत्र को जानता है, बहुतर क्षेत्र को देखता है यावत् उस क्षेत्र को विशुद्धतर रूप से जानता देखता है। इस कारण से हे गौतम! ऐसा कहा जाता है कि कापोत लेश्या वाला नैरयिक नील लेश्या वाले नैरयिक की अपेक्षा यावत् अधिक क्षेत्र को वितिमिरतर एवं विशुद्धतर रूप से जानता और देखता है।
विवेचन प्रस्तुत सूत्र में कृष्ण आदि लेश्या वाले नैरयिकों द्वारा अवधिज्ञान - अवधिदर्शन से जानने देखने की क्षमता का निरूपण किया गया है। सातों नरक पृथ्वियों के नैरयिकों का अवधिज्ञान का विषय क्षेत्र इस प्रकार हैं
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सातवीं नारकी का नैरयिक जघन्य आधा कोस उत्कृष्ट एक कोस, छठी नारकी का नैरयिक जघन्य एक कोस उत्कृष्ट डेढ़ कोस, पांचवीं नारकी का नैरयिक जघन्य डेढ़ कोस उत्कृष्ट दो कोस, चौथी नारकी का नैरयिक जघन्य दो कोस उत्कृष्ट ढाई कोस, तीसरी नारकी का नैरयिक जघन्य ढाई कोस उत्कृष्ट तीन कोस, दूसरी नारकी का नैरयिक जघन्य तीन कोस उत्कृष्ट साढ़े तीन कोस और पहली नारकी का नैरयिक जघन्य साढ़े तीन कोस उत्कृष्ट चार कोस प्रमाण क्षेत्र जानता देखता है। इस विषय में भगवान् महावीर स्वामी और गौतम स्वामी में हुए प्रश्नोत्तर इस प्रकार हैं -
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हे भगवन् ! दो कृष्ण लेश्या वाले नैरयिक क्या अवधिज्ञान से समान जानते हैं समान देखते हैं ?
हे गौतम! समान जानते हैं और समान देखते हैं और विषम भी जानते तथा विषम भी देखते हैं। एक पुरुष समतल पृथ्वी पर खड़ा होकर देखता है और एक पुरुष नीची जमीन पर खड़ा होकर देखता है। इन दोनों के देखने में जिस तरह अन्तर पड़ता है उसी तरह दो कृष्ण लेश्या वाले में भी आपस में अवधिज्ञान से जानने देखते में अन्तर पड़ता है। विशुद्ध लेश्या वाले की अपेक्षा अविशुद्ध लेश्या वाला कम जानता देखता है और अविशुद्ध लेश्या वाले की अपेक्षा विशुद्ध लेश्या वाला अधिक जानता देखता है।
हे भगवन् ! क्या नील लेश्या वाला नैरयिक कृष्ण लेश्या वाले नैरयिक की अपेक्षा अधिक जानता देखता है ?
हे गौतम! जैसे एक पुरुष पहाड़ पर खड़ा होकर देखता है और एक पृथ्वी पर खड़ा होकर देखता है। इन दोनों में पहाड़ पर खड़ा होकर देखने वाला अधिक क्षेत्र देखता है और अधिक स्पष्ट देखता है। इसी तरह कृष्ण लेश्या वाले नैरयिक की अपेक्षा नील लेश्या वाला नैरयिक अधिक एवं विशुद्धतर जनता देखता है।
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