Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र . ooooooooooooooooooooooo
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हंता गोयमा! जणेजा, एवं एए छत्तीसं आलावगा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! कर्मभूमिक कृष्ण लेश्या वाला मनुष्य कृष्ण लेश्या वाली स्त्री से कृष्ण लेश्या वाले गर्भ को उत्पन्न करता है ?
उत्तर - हाँ गौतम! वह उत्पन्न करता है। इस प्रकार पूर्वोक्तानुसार ये भी छत्तीस आलापक हुए।
अकम्मभूमय कण्हले से णं भंते! मणुस्से अकम्मभूमय कण्हलेस्साए इत्थियाए अकम्मभूमय कण्हलेस्सं गब्भं जणेजा?
हंता गोयमा! जणेजा, णवरं चउसु लेस्सासु सोलस आलावगा, एवं अंतरदीवगाण वि॥५३१॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! अकर्मभूमिक कृष्ण लेश्या वाला मनुष्य अकर्मभूमिक कृष्ण लेश्या . ' वाली स्त्री से अकर्मभूमिक कृष्ण लेश्या वाले गर्भ को उत्पन्न करता है ?
उत्तर - हाँ गौतम! वह उत्पन्न करता है। विशेषता यह है कि इनमें पाई जाने वाली चार लेश्याओं से सम्बन्धित कुल १६ आलापक होते हैं। इसी प्रकार अन्तर द्वीपज कृष्णलेश्यादि वाले मनुष्य से भी अन्तर द्वीपज कृष्णलेश्यादि वाली स्त्री से अन्तर द्वीपज कृष्णलेश्यादि वाले गर्भ की उत्पत्ति सम्बन्धी सोलह आलापक होते हैं। .
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में लेश्या को लेकर गर्भोत्पत्ति संबंधी प्ररूपणा की गयी है। कृष्ण लेश्या वाला मनुष्य अपनी लेश्या वाले गर्भ के अलावा अन्य पांचों लेश्याओं वाले गर्भ को उत्पन्न करता है। इस अपेक्षा से कृष्ण लेश्या से छह लेश्यात्मक गर्भ के उत्पन्न होने संबंधी छह आलापक हुए। इसी प्रकार कृष्ण आदि छहों लेश्याओं वाली स्त्रियों से प्रत्येक लेश्या वाले गर्भ की उत्पत्ति संबंधी ३६ आलापक होते हैं। कृष्ण आदि लेश्या वाले पुरुष द्वारा, कृष्ण आदि लेश्या वाली स्त्री से कृष्ण आदि लेश्या वाले गर्भ की उत्पत्ति संबंधी भी ३६ आलापक होते हैं। चार लेश्याएं होने के कारण अकर्मभूमिक, अंतरद्वीपज कृष्ण आदि लेश्या वाले पुरुष द्वारा अकर्मभूमिज अंतरद्वीपज कृष्ण आदि लेश्या वाली स्त्री से इसी प्रकार की लेश्या वाले गर्भ की उत्पत्ति संबंधी १६-१६ आलापक होते हैं।
॥छट्टो उद्देसओ समत्तो॥
॥छठा उद्देशक समाप्त॥ ॥पण्णवणाए भगवईए सत्तरसमं लेस्सापयं समत्तं॥ ॥ प्रज्ञापना भगवती सूत्र का सत्तरहवाँ लेश्यापद सम्पूर्ण॥
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