Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
उत्तर - हे गौतम! कृष्ण लेश्या वालों से नील लेश्या वाले महर्द्धिक होते हैं, नील लेश्या वालों से कापोत लेश्या वाले महर्द्धिक होते हैं, कापोत लेश्या वालों से तेजो लेश्या वाले महर्द्धिक होते हैं, तेजो लेश्या वालों से पद्म लेश्या वाले महर्द्धिक होते हैं और पद्म लेश्या वालों से शुक्ल लेश्या वाले महर्द्धिक होते हैं। कृष्ण लेश्या वाले जीव सबसे अल्प ऋद्धि वाले हैं और शुक्ल लेश्या वाले जीव सबसे महती ऋद्धि वाले हैं।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में कृष्ण आदि लेश्या वाले जीवों की ऋद्धि का कथन किया गया है। इसके अनुसार पूर्व-पूर्व की लेश्या वाले अल्प ऋद्धि वाले और उत्तरोत्तर-आगे आगे की लेश्या वाले जीव महर्द्धिक-महान् ऋद्धि वाले होते हैं।
एएसि णं भंते! णेरइयाणं कण्हलेस्साणं णीललेस्साणं काउलेस्साण य कयरे । कयरहितो अप्पडिया वा महड्डिया वा?
गोयमा! कण्हलेस्सेहितो णीललेस्सा महड्डिया, णीललेस्सेहितो काउलेस्सा महड्डिया सव्वप्पडिया णेरइया कण्हलेस्सा, सव्वमहड्डिया णेरड्या काउलेस्सा॥४९८॥ ..
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन कृष्ण लेशी, नीललेशी और कापोत लेशी नैरयिकों में कौन, . कितनी अल्प ऋद्धि वाले अथवा महती ऋद्धि वाले हैं ?
उत्तर - हे गौतम! कृष्ण लेशी नैरयिकों से नील लेशी नैरयिक महर्द्धिक है, नील लेशी नैरियकों से कापोत लेशी नैरयिक महर्द्धिक हैं। कृष्ण लेश्या वाले नैरयिक सबसे अल्प ऋद्धि वाले हैं और कापोत लेश्या वाले नैरयिक सबसे महती ऋद्धि वाले हैं।
एएसि णं भंते! तिरिक्ख जोणियाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पडिया वा महड्डिया वा?
गोयमा! जहा जीवाणं।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन कृष्ण लेश्या वाले यावत् शुक्ल लेश्या वाले तिर्यंचयोनिकों में से कौन, किनसे अल्पर्द्धिक अथवा महर्द्धिक हैं?
उत्तर - हे गौतम! जैसे समुच्चय जीवों की कृष्णादि लेश्याओं की अपेक्षा से अल्पर्द्धिकतामहर्द्धिकता कही है, उसी प्रकार तिर्यंचयोनिकों की कृष्णादि लेश्याओं की अपेक्षा से अल्पर्धिकता और महर्द्धिकता कहनी चाहिए।
एएसिणं भंते! एगिदिय तिरिक्ख जोणियाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरहितो अप्पड्डिया वा महड्डियां वा?
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