Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
उत्तर हे गौतम! सबसे कम शुक्ल लेश्या वाले गर्भज- पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक हैं, उनसे संख्यात गुणी शुक्ल लेश्या वाली गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंच स्त्रियां हैं, उनसे पद्म लेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक संख्यात गुणा हैं, उनसे पद्म लेश्या वाली गर्भज- पंचेन्द्रिय तिर्यंच स्त्रियाँ संख्यात गुणी हैं, उनसे तेजोलेश्या वाले संख्यात गुणा हैं, उनसे तेजो लेश्या वाली तिर्यंच स्त्रियाँ संख्यात गुणी हैं, उनसे कापोत लेश्या वाले गर्भज- पंचेन्द्रिय तिर्यंच संख्यात गुणा हैं, उनसे नील लेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रिय विशेषाधिक हैं, उनसे कापोत लेश्या वाली गर्भज तिर्यंच स्त्रियाँ संख्यात गुणी हैं, उनसे नील लेश्या वाली गर्भज- पंचेन्द्रिय तिर्यंच स्त्रियाँ विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्ण लेश्या वाली गर्भज- पंचेन्द्रिय स्त्रियाँ विशेषाधिक हैं ।
विवेचन - इस सातवें सूत्र में गर्भज तिर्यंच पंचेन्द्रिय और तिर्यंच स्त्री का अल्पबहुत्व कहा है। सभी लेश्याओं में स्त्रियों की संख्या अधिक है और उस सर्व संख्या से भी तिर्यंच पुरुषों की अपेक्षा तिच स्त्रियाँ तीन गुणी है क्योंकि "तिगुणा तिरूव अहिया तिरियाणं इत्थिया मुणेयव्वा" - तीन गुणी से तीन अधिक तिर्यंच स्त्रियाँ जाननी चाहिए, ऐसा शास्त्र वचन है । अतः इस अल्प बहुत्व में तिर्यंच स्त्रियाँ संख्यात गुणी अधिक बताई गयी है ।
एएसि णं भंते! सम्मुच्छिम पंचेंदिय तिरिक्ख जोणियाणं गब्भवक्कंतिय पंचेंदिय तिरिक्ख जोणियाणं तिरिक्ख जोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा! सव्वत्थोवा गब्भवक्कंतिया तिरिक्खजोणिया सुक्कलेसा, सुक्कलेसाओ तिरिक्ख जोणिणीओ संखिज्जगुणाओ, पम्हलेस्सा गब्भवक्कंतिया तिरिक्खजोणिया संखिज्ज गुणा, पम्हलेस्साओ तिरिक्ख जोणिणीओ संखिज्जगुणाओ, तेउलेस्सा गब्भवक्कंतिया तिरिक्खजोणिया संखिज्जगुणा, तेउलेस्साओ तिरिक्ख जोणिणीओ संखिज्जगुणाओ, काउलेस्सा तिरिक्ख जोणिया संखिजगुणा, णीललेस्सा० विसेसाहिया, कण्हलेस्सा० विसेसाहिया, काउलेस्साओ० संखिज्ज गुणाओ, णीललेस्साओ ० विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ० विसेसाहियाओ, काउलेस्सा सम्मुच्छिम पंचेंदिय तिरिक्ख जोणिया असंखिज्ज गुणा, णीललेस्सा० विसेसाहिया, कण्हलेस्सा० विसेसाहिया ।
भावार्थ - प्रश्न हे भगवन्! कृष्ण लेश्या वालों से लेकर यावत् शुक्ल लेश्या वाले इन सम्मूच्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों, गर्भज- पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों तथा तिर्यंच योनिक स्त्रियों में कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
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