Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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सत्तरहवाँ लेश्या पद-द्वितीय उद्देशक - चौबीस दण्डकों में लेश्याएं १६७ wwwcccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccommodwwwotococccccccccccccccoote
गोयमा! छ ल्लेस्साओ एयाओ चेव। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! गर्भज तिर्यंच योनिक स्त्रियों में कितनी लेश्याएं होती हैं ? उत्तर - हे गौतम! ये ही कृष्ण आदि छह लेश्याएँ होती हैं। मणुस्साणं पुच्छा? गोयमा! छ ल्लेसाओ एयाओ चेव। भावार्थ - प्रश्न- हे भगवन्! मनुष्यों में कितनी लेश्याएं होती हैं? उत्तर - हे गौतम! ये ही कृष्ण आदि छह लेश्याएँ होती हैं। सम्मुच्छिम मणुस्साणं पुच्छा? गोयमा! जहा णेरइयाणं। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! सम्मूर्छिम मनुष्यों में कितनी लेश्याएं होती हैं ?
उत्तर - हे गौतम! जैसे नैरयिकों में प्रारम्भ की तीन लेश्याएं कही हैं, वैसे ही सम्मूछिम मनुष्यों में भी होती हैं। .. गब्भवक्कंतिय मणुस्साणं पुच्छा?
गोयमा! छल्लेस्साओ० तंजहा-कण्हलेसा जाव सुक्कलेसा। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! गर्भज मनुष्यों में कितनी लेश्याएं होती हैं ? उत्तर-हे गौतम! गर्भज मनुष्यों में छह लेश्याएं होती हैं-कृष्ण लेश्या से लेकर शुक्ल लेश्या तक। मणुस्सीणं पुच्छा? गोयमा! एवं चेव। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! गर्भज मनुष्य स्त्री में कितनी लेश्याएं होती हैं?
उत्तर - हे गौतम! जैसे गर्भज मनुष्यों में छह लेश्याएं होती हैं इसी प्रकार गर्भज स्त्रियों में भी छह लेश्याएं समझनी चाहिए।
देवाणं पुच्छा? गोयमा! छ एयाओ चेव। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! देवों में कितनी लेश्याएं होती हैं ? उत्तर - हे गौतम! ये ही छह लेश्याएं होती हैं। देवीणं पुच्छा? गोयमा! चत्तारि-कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा।
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