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थिया कोटवाल ॥ दया धर्मी उत्साहस्यूं ॥ २१ ॥ मुनी पधार्याहो । ग्राममें गौचरी भी
काज ॥ तलवर मदन आगे चल्या । लौकिक राखण हो । मदन बन्धन मांय ॥
नस धमें प्रेमे मल्या ॥ २२॥ धन्य २ मुनिवर हो ॥ करे मोठो उपकार ॥ मरण | अणी थी उगारिया ॥ दोइने तार्या हो ॥ ढाल सोलमीरे माय ॥ अमोल वंदे गुण ||
रागिया ॥ २३ ॥ ॥ दोहा ॥ थोडा दूरा जायने । सहू थी कहे कोटवाल ॥ देर घणी || माहु मारगे। दिन थोडो रह्यो हाल ॥१॥ आज घात नहीं होवसी । देख्यो जासी काल | सहू जावो निज स्थान में। सहू गया होह खुशाल ॥२॥ कोटवाल कहे मदन थी। सदगुरु प्रशाद ॥ दोनों भणी उगारिया । मेटी सह विषवाद ॥३॥ हिवे जावो | तुज वेगला ॥ फिरीन आवो ए ग्राम ।। मदन कहे अवसर विना । नहीं आस्यूं इण ठाम में ॥४॥ए उपकार थांको हुयो । भवो भव न भुलाय । शक्ती आया फेडस्यूं ॥ इम कहीर मदन सिधाय ॥५॥ ढाल ११ मी ॥ उग्रसेन की लली ॥ यह ॥ देखो धर्म पसाय । पुण्य प्रबल जीव सब सुख पाय ॥ आं॥ कोटवाल खुशी हुइ । गयो निज ठाम ॥ धर्म भेद जाणी ते पायो आराम ॥ देखो ॥ १ ॥ वक्त गुजयाँ मारण । भूले पड़ी तेह ॥ सत्यजुग दयावंत । कुण लेवे छेह ॥ देखो ॥ २ ॥ धर्मध्यान नित्य कर । रहे कोटवाल ॥ इम तेहने सुखे तिहां। बीते काल ॥ देखो ॥ ३॥ हिवे मदन जी आया।