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हम वीतक कह्यो रोतां । मदन वह गयो पाणी मांह जी ॥ सुणो ॥ ॥ जोयो पण पत्तो। नहीं लाग्यो । तेह थी मन दुःखाइ जी ॥ सुणो ॥ १० ॥ सुणी वज्रपात ज्यूं बचन ए लागा
दो गया मुरछाइ जी ॥ खुणो ॥ ११॥ जल विन मीन तणीपर तडफे। प्राण आ कंठे रह्याइ जी ॥ सुणो ॥ १२॥ तब हम कह्यो तातजी सुणो आगे । मदनने हम दीठाइ, * जी ॥ सुणो ॥ १३ ॥ इम सुणी जरा सावध हुया । कहे दे मदन बताइजी ।। सुणो ॥१४॥
हम कह्यो ते पड्यो जब जल में । तब विद्युत चमकाइजी ॥ सुणो ॥१५॥ काष्टारूढ दीठो, हम वहतो। तेहथी जीवतो भाइजी ॥ सुणो ॥१६॥ निश्चय निकलशी कोहक ठामें । मिलसी पाछो आइजी ॥ सुणो ॥ १७॥ इम सुणी मन जरा स्थिर थइयो । विश्वास साता # पाइजी ॥ सुणो ॥ १८ ॥ तेतले एक नैमित्तिक आया। हमने दुःखी दीठाइ जी ॥ सुणो॥ १९ ॥ दया लाइ कहे दुःख सहू छोडो । तुम सहू पुण्यवंताइ जी ॥ सुणो ॥ २०॥ पांच में
वर्ष में मदन आमिलसी । ऋद्धि घणी संग लाइजी ॥ सुणो ॥ २१ ॥ अजीवका PE काष्टथी नित्य करता । याद आता रणमाइ जी ॥ सुणो ॥ २२ ॥ वारतेवारे शुभ संयोगे। में अटकतो ग्रास गले जाइजी ॥ सुणो ॥ २३ । इम केइ दिन कष्टे विताता ! केइदा विचार
थयाइजी । सुणो ॥ २४ ॥ कोइ उद्योग ऐसो कर लगे । प्रग जिम पुण्याइजी ॥ सुणो ।। | २५ ॥ वुद्धी बल चलतो अजमायो । पण कांह न सिजाइजी ॥ सुणो ॥ २६ ॥ जब पाप