Book Title: Madan Shreshthi Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Sukhlal Dagduram Vakhari

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Page 285
________________ खण्ड * कीनी इच्छा । सुन्दरीने चेताया ॥ यहां का लस्कर यहां ही छोडा । दोनों सज वाया ॥ * झेला ॥ खातीपुत्रीने राज संभलाइ । गुणसुन्दरीने साथे ठाइ । महेन्द्रपुर फिर आया 8 चलाइ । राजा प्रजा सुण हर्षाह || मिलत ॥ गया ग्राममें विध पूर्वली । सुख थी रह्याइ में ॥ मदन ॥ २॥रंभा मंजरी अतिसुख पाइ । पुरपति विचारे । बृद्ध भयो नहीं राज निभे । करूं मदनजी सिरदारे ॥ दियो राज अतिकरने आग्रह । आप धर्म धारे ॥ थोडेही में | काले आयू पूर्ण कर । गये स्वर्ग मझारे ॥ झेल ॥ मदनेश्वरजी राज निभावे। आगल || #जावाको मन थावे । कोटवालने राज भोलावे । दोनों नारी साथ सिधावे ॥ मि० ॥ फौज तिहांकी तिहां छोड और लीनी साथाड ॥ मदन ॥३॥ चल आये || पयठाण पुरमें । उपजा आनंदा ॥ घर दुकान सडू काम संभाल्या । रुपवती समंदा ॥ | अचानक राय मृत्यू पाये । उपज्या ए फंदा । सहू शल्लाथी मदन राज किया। मिट्या सहू: १३७ में दुःख धंदा ॥ झेल ॥ भद्रसेणने राज भोलाइ । तिहां विमाणकी करी सजाइ । तीनों महिला माय बैठाइ । विद्यावल थी तास चलाइ ॥ मि० ॥ आनंदपुरमें आया उतरि या यक्ष देवल मां ॥ मदन ॥ ४ ॥ नारी संग प्रणम्या जोगी पग । आसिस ते देवे | R॥ आज दर्शने प्रसन्न हुवा चित, नरमी मदन केवे ॥ देवल रक्षक जा दीनी बधाइ। सुणी हर्ष लेवे । दौडी आया जल देख मदन कहे । धन्य २ अहमेष ॥ झे ॥ बधाइ

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