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लियो संयम । करणी कर स्वर्गे गया ॥ जासी मोक्ष ए खंड सप्तम । ऋषि अमोल इणविध कया ॥१॥
पुन्य प्रकाश मदन चरित्र का । सात खन्ड मिल्या सह ॥ ढाल एकसो आठ पूरी। भणता कर्म होवे लहू ॥ धार सार ज्यूं हो निस्तार । यह तत्व थोडा में कहूं ॥ ह्रीं श्रीं अक्षय अनंत सुख । भणतां सुणतां ले बहू ॥१॥
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परम पूज्य श्री कहानजी ऋषिजी महाराजके सम्प्रदायके महंत मुनी श्री खुषा ऋषिजी महाराजके आशिष्य श्री चेना ऋषि
जी महाराजके शिष्य बालब्रह्मचारी श्री अमोलख ____ऋषिजी महाराज रचित पुण्यप्रकाश श्री
॥ मदन कुंवर चरित्र समात्प ॥
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