Book Title: Madan Shreshthi Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Sukhlal Dagduram Vakhari

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Page 301
________________ म.श्रे. खण्ड ७ लोहीतांग । उसरगणी लोहितवामी ॥ आर्यऋषि धर्माचार्य शिवभूतं । संगाजी आर्य द्र नामी ॥ विष्णुचन्द धर्मवृधन श्रीभैर । सुदत्त सुस्थित वरदैत्त यामी ॥ सुबुद्धि शिवदत्त वीरदत्तजी । जयदत्त जयदेव जयघोषजरे ॥ मदन ॥ २२ ॥ वीरें वकधर शांतीसेन श्रीवंत सुमती लूंका जक कारी ॥ वाना रुप ऋषि जरुषिजी । बजरं लवेजी उद्वारी । सोमजी कहानजी ऋषि पुज्यजी। तारा कॉला ऋषि बलाहारी। वक्षुऋषिजी धनजी ऋषिजी खंबा ऋषिजी आचारी | गुरु दयाल श्री चेनी ऋषिजी। सर्वे अमोल ऋषि नमतारे॥ मदन ॥ २३ ॥ श्री वीर संवत चोवीससो चौतीसें । विक्रम उन्नीस चौसट । दक्षिण हैद्राबाद में | आया। नवोक्षेत्र जैनी हुयो पट॥ तवखीजी श्री केवल ऋषिजी । संसारी तात साथे आया ॥ लालाने तरामजी रामनारायणजी । दियो स्थानक स्थरता पाया। दीपवाली दिन पूर्ण चरित्र यह । कियो अमोल ऋषि हित धार । मदन ॥ २४ ॥ वक्ता यथा तथ्य रागे गावे श्रोता सुण के हर्षावे ॥ ग्रन्थ समाप्तीकी भेट अपेता । इच्छितव्रत करो सह भावे ॥1 भणता सुणतां पुण्य प्रकाशे। आनंद मंगल वृतावे॥ जय २ रहे सदा जैन धर्म की। जिहां लग भूरवी शशी रहावे ॥हीं श्री सुख संपदा । सदा चरित्र यह दातार ॥ मदन ॥ २५॥8॥ सारांस हरीगीत छन्द ॥ श्री धर निज निज वीतक कह्यो । सबही कुटुम्ब | सुखीया भया ॥ सर्व सज्जन संग अजुध्या । आया मुनी भेटो थया ॥ सुणी पूर्व भव

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