Book Title: Madan Shreshthi Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Sukhlal Dagduram Vakhari

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Page 300
________________ जीवने मार्ग लगाया आयु तणा जब अंत आया ॥ आलोइ निंदी अणसण करियो । निज आत्म जग थी तारे ॥म ॥ १७॥ पांचू साधू आयुपूर्ण कर । ब्रह्मस्वर्गको पधारे ॥सतियों| चौथे स्वर्ग विराजी । करणी फल के अनुसारे ॥ अनोपम सुख भोगे स्वर्गका । महाल विदेह धर्मी घरमांहीं ॥ जन्म लेइ संयम धारी । कर करणी एक चित लाइ ॥ कर्ष क्षपाके : मोक्षज पासी ॥ हो जासी जय २ कारे ॥ मदन ॥ १८॥ आदीअंत वरण न करी ए । मदन कुँवर पुण्यवंत चरी ॥ सारांश ग्रहण । करिये श्रोता। निजात्म को हितधरी ॥ सत्य | सील सहासिकता धैर्य । निश्चय दया गुरु भक्त सिरी । नम्रता गुण ग्राही अमानी ॥ | इत्यादी गुण लेवो वरी ॥ धारे गुण मदनका जो जन । तोही मुणि यांको सार ॥ मदन | | | १९॥ कथानुसार विस्तार करीने । विविध राग ढाल बनाइ ।। सोभीतो सम्मास बहु जगा दीनो मन थी मिलाइ ॥ अधिको ऊणो विरुध विप्रीत । जो कोइ गयो होवे कथाइ ॥ तो | अहंत ने आत्म शाखे । मिथ्या दुष्कृत्य मुज तांह ॥ शुद्ध कर लीजो कृपाय विद्ववर । अर्ज मेरी यह स्वीकार ॥ मदन ॥ २० ॥ श्री महावीर जी चर्म जिनेश्वर । पाट सुधर्मा | गण धारा जंबूजी प्रभव स्वयंभव । यशोभद्र संभूती सारा ॥ भद्रबाह स्थलभद्रा महागीरी । सबल स्वातिक अणगार ॥ समय सादिल यतिधर आर्यश्चीम भद्दल कार ॥ नर्गदत्त अरहँगण खदिलजी । द्रक्षण नगरीय श्रेयकार मदन ॥ २१ ॥ गोविंद संभूती दीन से 1

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