Book Title: Madan Shreshthi Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Sukhlal Dagduram Vakhari

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Page 292
________________ छे राज कुँवाररे । अर्थ ॥ १५ ॥रंभी मंज्जरी गुण सुन्दरी । कनकावती साररे ॥ अर्थ ॥ ॥१६॥ रूपवती ए पांचो प्यारी। मोहे दिप्त दीदाररे ॥ अर्थ ॥१७॥ पांच पत्र पांच केरा । नाम करूं उच्चाररे ॥ अर्थ ॥ १८॥ हरीसेण वारीसेणे । महासेण मनोहर रे ॥ अर्थ में ॥ १९॥ जयसेण मित्रसेण । कलागुण भंडारे ॥ अर्थ ॥ २० ॥ सर्व शिशुचारु भाइका । | भणाया तेवाररे ।। अर्थ ॥ २१ ॥ कला बहोत्र सीखी नरनी । चौसट जाणी नाररे । अर्थ में | २२ ॥ सामायिक प्रतिक्रमण क्रिया। तत्व द्रव्यं नवकाररे ॥ अर्थ ॥ २३ ॥ नय प्रमाण | अनुयोग्य नीती । सीख्या तंत साररे ॥ अर्थ ॥ २४ ॥ सर्व कला प्रवीन जाण्या । उपवय हवा जे वाररे ॥ अर्थ ॥ २५॥ योग्य जोडी देखी परखी । परणाइ तस नाररे ॥ अर्थ ॥ |२६॥ काम संभालण जोगा हुवा । उतारण भाररे ॥ अर्थ ॥ २७ ॥ वैश्य जाती घर संभलाय । करो नीती वैपाररे । अर्थ ॥ २८ ॥ जिण २ ग्रामरी राय कन्या थी । तिण २ कुँवरने र धाररे ॥ अर्थ ॥ २९ ॥ नानाजीका राज संभलाया । किया घणा हुशियाररे । अर्थ ॥ ३०॥ निश्चित हुवा चारं भाइ । अमोल पन्नरमी ढालरे ॥ अथें ॥ ३१ ॥8॥ दोहा ॥ निश्चिंत हुवा | सहू । करवा आत्म उधार ॥ छोडी परपंच घर तणो । षट पट को वैपार ॥१॥ भाइ चउ | पत्नी सहू । पौषधशाळा मांय ॥ धर्म साधना नित्य करे। सीधो अहारज खाय ॥२॥ अभिनव ज्ञान वधारता । करी अबृत संकोच ॥ स्वधर्मी को पोषता ॥ अन्यमती धर्म रोच RYANMASHAN '

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