Book Title: Madan Shreshthi Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Sukhlal Dagduram Vakhari
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३ शत्रू
S
| ते परवशमें दुःख पाया || मेरा ॥ ४ ॥ हिवे चेतूं तो कुछेक सुधरे । अपूर्व वक्त ए आया ॥ मेरा ॥ ५ ॥ नहीं तो पीछे गोता खारयूं । महामनीवर फरमाया ॥ मेरा ॥ ६ ॥ तुमसा | सपूत मिल्या नहीं सुधारूं । तो मैं मूर्ख गिणाया || मेरा ॥ ७ ॥ निज हित में अंतराय जे देवे । तेहीज पिशुन जणाया ॥ मेरा ॥ ८ ॥ थोडामें समजी दो आज्ञा । कछू सारन खेंचायां ॥ नेरा ॥ ९ ॥ प्रियवती कहे भली विचारी । मुज मनमें येही चाया ॥ मेरा ॥ १० ॥ पुत्रादिक कहे सुख जिम कीजे । दिक्षा उत्सव मंडाया ॥ मेरा ॥ ११ ॥ करी आडंबर वागमें आया । लोच करी सोच छिटकाया | मेरा ॥ १२ ॥ लीना संयम श्री गुरुपासे । कुटम्ब बन्धी घर सिधाया ॥ मेरा । १३ ॥ विनय भक्ती कर शिक्षा ग्रही दोइ । मुनी महासतियाजी में रहाया ॥ मेरा ॥ १४ ॥ यथाशक्ति करी ज्ञान अभ्यास ते । तप जप चित रमाया || मेरा ॥ १५ ॥ तप जप क्षप करे चडते भावे । अंत अवसर जब आया ॥ मेरा ॥ १६ ॥ आलोह निंदी करी संथारो । समाधी चित लाया ॥ मेरा ॥ १७ ॥ आयुष्य | पूर्ण हुया तनने त्यागी । वसु ऋषि ब्रह्म स्वर्ग पाया ॥ मेरा ॥ १८ ॥ तिहांथी चवी थोडा ही भव में । जासी मोक्षरे मांया | मेरा ॥ १९ ॥ सुपुत्र योगे तिरिया तात मात । पुत्र ने लारे गवाया || मेरा ॥ २० ॥ ढाल चौदमी सातमा खन्डकी । अमोल भाव दरशाया ॥ | मेरा ॥ २१ ॥ ॥ दोहा ॥ हिवे श्रीधर मदनजी । भोगे जगका भोग ॥ धर्म ध्यान

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