Book Title: Madan Shreshthi Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Sukhlal Dagduram Vakhari
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उन्नती कर लाभज लियाजी ॥ आ ॥ २४ ॥ पसरी कीर्ती चउदिश मायनेजी ॥ कही * ढालग्यारे अमोलख गायनेजी ॥ आ ॥ २५ ॥ * ॥ दोहा ॥ एक दिन मदन जी चिंतवे । हूं || र लुब्ध्यो इहां आय ॥ पाछल झुरे परिवार मुज । करी दर्श फर्श चाय ॥१॥ हिवे शीघ्र निज शैन्य सज । चलणो फिर सह ठाम ॥ संतोषू सहूने हिवे । करूं मै एकण धाम ||
२॥ इम निश्चय कर आविया । तात भ्रात नृप पास ॥ निज इच्छा जणाय ने । ली आज्ञा | | हुल्लास ॥ ३॥ शैन्यापति बुलायने । सजाइ फोज ते वार ॥ मेहंदपुर श्रीपुर तणी। | वट पुरनी ले लार ॥ ४॥ प्रणमी पग सज्जन तणा। करी पुरजन सत्कार ॥ गजारुढ हो | | चालिया। मदन श्वसुर ते वार ॥ ५॥ ॥ ढाल १२ मी ॥ लावणी ॥ दया धर्म का मूल॥ | यह ॥ पुण्य सदा सुखकार । प्रगटे करी हुइ पुण्याइ ॥ मदन कुँवर पुण्य जोग । कीर्ती |
| जग में फेलाइ ॥ ७ ॥ प्रथम श्री पुर आया खबर ए राजा प्रजा पाइ आया सामने | FE अति उमंगे। ले गया बधाइ ॥ खान पान सुस्थान भोगवे । रहे आनंद माइ॥ गुणसुन्दरी | मिली पीत्यो सहु वीतक चेताइ ॥ ढाल ॥ तिण अवसर रुपी राय जी आया राजा प्रजा | सहू वंदन धाया । मुनीराज उपदेश सुणाया । श्रीपुरपति वैरागज लाया ॥ मिलत ॥ | मदनकुँवरने देइ राज । लेइ दीक्षा सुख पाइ ॥ मदन ॥१॥श्रीपुरपती भया मदन । | तत्क्षण खातीने बुलाया ॥ अखूट धन सुख देइ पासे राख्या तिण तांया । आगल चालण

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