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म.श्रे
खण्ड ७
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कियो जी । लूह्या कालजा मोय ॥ हा हा हिवे किस्यो करूंजी । इम राणी रही रोय ॥ भ
॥ १७ ॥ उर कुटे शिर भूहणे जी । पलक २ मुर छाय ॥ रंगने मांही भंग हुयो जी। ॐ कांह सह रह्या विलखाय | भ ॥ १८ ॥ ख्याल तमाशा बंध हुया जी । कांइ जे सुणे ,
ते करे सोग ॥ सहूजन गया पुरविषेजी । मोह ए मोटो रोग ॥ भ ॥ १९ ॥ राय समजाइ
राणी भणी जी । कांइ आत कियां किस्यो होय ॥ जीवती हुइ तो मंगावस् जी। उद्यमथी , 18 तस जोय ॥भ ॥२०॥ इत्यादी बचने करी जी। कांह राणी समजाह राय॥ अमोल ढाल
दजी कही जी । श्रीधर मदन जणाय ॥ भ ॥ २१ ॥ ॥ दोहा ॥ राय मंत्री दोनों मिली । उंडो करे विचार ॥ किण उपाय थकी लगे । बाइ तणो समाचार ॥ १ ॥ ले गयो ते जीवती। नहीं भक्षेते तन । आगे कहीं न्हाखी दह । तो ते भटकसी वन ॥२॥ प्रधान कहे पिटाइये । डंडेरो पुर मांय । जो कोइ लासी बाइ ने । देशी तस परणाय ॥ ३ ॥ काम नहीं कायर तणो । लासी को पुण्यवंत ॥ जीवती होसी तो तसे । करदेशा तसत ॥४॥ लालच वस जात्री घणा । लासी पतो लगाय ॥ कला सुणी सचिव की । गह राय मन | भाय ॥५॥ॐ ॥ ढाल ३ जी ॥ वीर सुणो मोरी वीनती ॥ यह ॥ सुणी वयण राय हर्षिया ! ततक्षण हो कहे भट ने बुलाय ॥ पडह बजावो पुर विषे । जे जाइ हो राय ॐवरी लाय ॥ सह ॥ १ ॥ तेहने तेह परणाव सी । वली देशी होतस द्रव्य अपार ॥ भट
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