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में व्यापी मनेजी । चूवण लागा नेण ॥ सुख उपाय दुःखियो भयोजी । निकसे न मुखथी म. श्रे. 14 वेण हो ॥ मद ॥ ७॥ चिंतामाहे चालियोजी । अथडा तोहंताम ॥ केसर वागकी छांयमेंजीर
खण्ड में मैं लेड बैठो विश्राम हो ॥ मद ॥ ८॥ तिण अवसर आइ तिहां । फूलां मालण चाल ॥ २२ रोवंतो मुज देखने जी । बोले दया लाइ रसाल हो ॥ मद ॥ ९॥ कुण तुम किहां थी
आविया जी । रोवो छो किण काज ॥ सत्य बात बीती कहों तो । हूं देस्युं कुछ माज हो , ॥ मद ॥ १०॥ मैं कह्यो में निराधार छु मां । नहीं सरतन मुज पास ॥ इम
सुणी ते दया लाइ जी । साची किम कीजे प्रकाश हो ॥ म ॥ ११ ॥ मालण कहे चिंता KI तजो जी । तूं मुज पुत्र समान ॥ सुग्वे रहो घर माहेरे जी । मैं देस्युं वस्त्र खान पान हो
म ॥ १२ ॥ रखवालो इण वागने जी । अवर नहीं कोई काम ॥ हम सुणी मैं धैर्य धरी जी । लियो तिणहीज स्थान विश्राम हो । म ॥ १३ ॥ नित्यप्रति फूल चूंटने जी। ढेर करे
घर मझार ॥ भूषण ख्याल बहुविध करे जी । में पूछयो तस तिण वार हो ॥ म॥१४॥ K माजी यह बणायनेजी । नित्यप्रति किहां ले जाय ॥ ते कहे बेटा सांभलोरे । रायबरीने वा
घणा ए सुहाय हो ॥ म ॥ १५ ॥ फिर मै पूंछयो रायने जी। किती पुत्री है मायाते कहे एकाएक छे जी। ते पण आइ दुःख पाय हो ॥ म ॥ १६॥ वसुपत सेठका सुत थी जी। होसी तेहनो व्याव ॥ थोडा दिनके आंतरे जी । मांडसी घणा उत्साहाव हो ॥ म ॥ १७ ॥
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