Book Title: Madan Shreshthi Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Sukhlal Dagduram Vakhari

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Page 275
________________ | | म ॥ परणन इच्छा पर हरो जी ॥ १५ ॥ नकली भइ उदास । इणविध करे प्रकास ॥ खण्ड ७ राजाजी सु० ॥ खरो होस्युं तो लावस्युंजी ॥ नमी गयो घर चाल । गुप्त भम्यो बहू थाल | * मदन ॥ मोती नमिल्या मूंगा भावस्युं जी ॥ १६ ॥ फिर आइ इम केय । गज मोती न* तमिलेय ॥ राजजी ॥ मेहनत निष्फल किम करो जी ॥ रायजी समज्या भेद । तो पण | नकरी ग्वेद ॥ मदन ॥ घर बैठो विचार करस्युं खरो जी ॥ १७ ॥ सचिवस्युं विचारी राय । नगर डंडेरो पिटाय ॥ परजाजन सुणिये ॥ गज मोती सेर सवा लावसीजी ॥ कराइ बाइने | परसन्न । जो गममी तस मन ॥ प्रजा ॥ तो कुँवरी तस परणावसी जी ॥१८॥ पसरी पुरमें बात । राय पुत्री सहू चहात ।। मदन ॥ मांगी मोती घणा लाविया जी ॥ पण नहीं है १३२ |गज मोती नाम । कोइकी न पूगी हाम ॥ मदन ॥ सहु रह्या चुप उमाविया जी॥१९॥ मैं इलका कुलभ वस्त्र कर तैयार । दीय मालणने ते वार ॥ मदन ॥ भज्या राय कुँवरी कने जी ॥ दिया कुँवरी ने जाय । जोइ घणी हर्षाय ॥ मदन ॥ पत्र लिख्या तत्क्षण मने जी ॥ २० ॥ लेइ सहू मोती लार । पधारो सभा मझार ॥ मदन ॥ डर मत धरजो केहनोजी ॥ करस्युं वंदोवस्त । जिम काम होसी परसस्त ॥ मदन ॥ जोर न चालसी जेयनोजी ॥ २१ ॥ २ अच्छा पत्र लिखी दियो तास । दीनी असरफी पचास ।। मदन ॥ झद आइ मालण मुज कने जी । बांची सह समाचार । हों हिये अपार ॥ प्रदन ॥ धेर्य आइ तव मने जी ॥ २२ ॥

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