Book Title: Madan Shreshthi Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Sukhlal Dagduram Vakhari

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Page 280
________________ * पुण्य || श्वामी जाव हम देश में । संग मिली सह परिवाररे ॥ पुण्य ॥ ४ ॥ राय कहे इम किम करो। तुमने इहां किस्यो दुःखरे ॥ पुण्य ॥ हम पाछल राज तुम तणो । भोगवो इच्छित सुखरे ॥ पुण्य || ५ || श्रीधर वदे नरमाइने । मिल्यो सहू परिवार मन रंगजी ॥ पुण्य || जन्म स्थान जोवा तणो । सहूने भयो उमंग जी ॥ पुण्य ॥ ६ ॥ वर्ष घणा हुवा हम भणी । रहतां विदेश न मांय जी ॥ पुण्य ॥ हिवे मिलस्या सज्जन भणी । शीघ्र हुकम फरमाय जी || पुण्य ॥ ७ ॥ राज कहे जिम सुख हुवे । तिम करो सहू काजजी ॥ पुण्य ॥ दल बल जे चाइये । ते लेजावो तुम साज जी ॥ पुण्य ॥ ८ ॥ इम सुणी खुशी हुवा । लीनी | शैन्य घणी साथ जी ॥ पु ॥ भिलाइ मदन शैन्यमें । साज जम्यो ज्यों नरनाथजी ॥ पु ॥ ९ ॥ शुभ मुहूर्त तणे विषे । कीधो सहू प्रयाण जी ॥ पु ॥ राज साज पहोंचाविया । सीम लगण तस जाण जी ॥ उ || १० || आगल चाल्या मौदमें । सुखे २ करत मुकाम जी ॥ पु ॥ शक्ती भक्ती थी मनावता । विच राजाने लाता ठामजी ॥ पु ॥ ११ ॥ इम अनुक्रमें आविया । अजुधापुरी समीप जी ॥ पु ॥ सुखस्थान जोवन विषे । रह्या जो सिन्धु द्वीपजी ॥ पु ॥ १२ ॥ पूर में पसरी वारता । कोइ आया राजेन्द्र चलायरे ॥ पू ॥ आपणा ग्रामके वाहिरे । रह्या छें छावणी छायरे ॥ पू ॥ १३ ॥ सन्धीपाल आइ नृप ने । अर्ज करे अकुलायरे || पू || न जाणे कुण राजवी । किण कामे रह्या सीमे आयरे ॥ पू ॥ १४ ॥

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